हिंदी-उर्दू
नज़्म -कविता की चौखट पे दस्तक दिया,
हिंदी -उर्दू को मन से रतन मानके।
एक कहानी बनी,एक सपना बुना,
चंद पंक्ति लिखी और ग़ज़ल बन गई,
हौसले की कलम जब निखरने लगी,
कोरे कागज़ पे उसकी छवि बन गई,
ये बसंती हवा दिल में बसने लगी,
प्रेमरस को समूचा तरन मानके।
नज़्म -कविता की चौखट.......
मुझको जितना दिखा तुमको उतना लिखा,
अंजुमन जब सजी गीत तुमको चुना,
मीत जीवन की जबसे तुम्हे चुन लिया,
जो तजुर्बे मिले सौंप तुमको दिया,
आइना भी हयावश नज़र फेर ले,
सामने मेरे ख़ुद की पतन जानके।
नज़्म -कविता की चौखट.......
सांस में जब बसी सुरमई हो गई,
मेरे जीवन की नैया तुम्ही बन गई,
मेरे धड़कन को पहचानने की नई,
यंत्र भी बन गई मंत्र भी बन गई,
कंठ माला मे तुमको पिरोकर के मैं,
सुमिरन कर रहा हूं पावन मानके।
नज़्म कविता की चौखट.......
गीत जब-जब बनी हमको नीरज मिले,
जब ग़ज़ल बन गई जाॅन भी मिल गए,
एक तरन्नुम बनी शब्दो की जब तलक,
सुर की आकाश में से रफी भी मिले,
कर रहा हूं मैं अर्पण चमन आपको,
देना आशीष हमको सुमन मानके।
नज़्म -कविता की चौखट.......