दिल के ज़ख्म गहरे हो जाते हैं
दिल के ज़ख्म और गहरे हो जाते हैं
जब ख्वाब में तेरे दीदार हो जाते हैं,
बड़ी मुश्किल से हम खुद को सँभालते हैं
तेरी यादोँ की हवा चलती है
और हम फिर से टूट जाते हैं,
परिंदो के घोसलें भी अक्सर उजड़ जाते हैं
आँधियों जब दरख्तों के शाखाओं को तोड़ जाते हैं,
इश्क़ में जो साहिल पर खड़े होते हैं,वो बच जाते हैं
जो बीच समंदर में होते हैं वो अक्सर डूब जाते हैं
न चाँद-सितारे,न आसमाँ की अब आरज़ू रखते हैं
तेरी यादोँ से रु-ब-रु न हों
बस यही खुदा से दुआ करते हैं।