भारत भूमि
भारत की इस विलक्षण भूमि को
करो शत शत शत प्रणाम
हर एक को इसने अपनाकर
दे दिया शत्रुता को विराम
आक्रमणकारी तुर्क हो
या हो लुटेरे अंग्रेज
सबका स्वागत किया इसने
बिछाई फूलों की सेज
लुटेरे बन बैठे शासक
शुरू हुआ उनका राज
देशभक्त पर गोलियां चलाई
पहना हिंदुस्तान का ताज
200 वर्षों तक खून बहाया
मिटा दिए सारे तख्तो ताज
फिर भी हम मेहमान समझकर
निभाते रहे अतिथि देवो भव का रिवाज
भारत की इस विलक्षण भूमि को
करो शत शत शत प्रणाम
हर एक को इसने अपना कर
दे दिया शत्रुता को विराम
खूब लूटा भारत को
बिल्कुल कंगाल बनाया
देख हर तरफ भुखमरी
फिरंगी बहुत हर्षाया
कुछ ना बचा यहाँ अब
यह सोच जाने का मन बनाया
जाते जाते विभाजन का
अंतिम आघात पहुंचाया
माउंटबेटन के इस निर्णय को भी हमने
हंसते-हंसते गले लगाया
भारत की इस विलक्षण भूमि को
करो शत -शत प्रणाम
हर एक को इसने अपनाकर
दे दिया शत्रुता को विराम
70 वर्षों में फिर से हमने
एक नया हिंदुस्तान बनाया
सभी धर्म जाति को लेकर
एक नया उपवन सजाया
भुखमरी कंगाली का यहां से
नामो निशान मिटाया
हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन
फिर सोने की चिड़िया कहलाया
भारत की इस विलक्षण भूमि को
करो शत -शत प्रणाम
हर एक को इसने अपनाकर
दे दिया शत्रुता को विराम
निशस्त्रीकरण की शर्त रख कर
विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाया
प्रेम ,अहिंसा ,शांति का संदेश देकर
विश्व गुरु कहलाया
विश्व की डगर पर मेरा
तिरंगा हर तरफ लहराया
भारत की इस विलक्षण भूमि को
करो शत -शत प्रणाम
हर एक को इसने अपनाकर
दे दिया शत्रुता को विराम।