योद्धा APOORVA SINGH
योद्धा
APOORVA SINGHतोड़ ला उन तारों को तू
ज़मीं पर रेंगने की कोशिश ना कर,
कर फतह मंज़िल हौसलों से तू
पंखों से उड़ने की कोशिश ना कर।
तू डरा नहीं तूफ़ानों से
जिगर तेरा विशाल है,
पार किए तूने कितने दरिया
हिम्मत की तू मिसाल है।
खुदा की तू है देन
ये जज्बा एक सौगात है,
जो डरा नहीं समन्दर से
तो लहरों की क्या औकात है।
भय तुझे रोक ना सका
चला है तू अंधेरे में,
तो अब डर लगे कैसा
इस दिन के फैले उजियारे में।
गिर-गिर तू उठता रहा
इन पथरीली राहों में,
अनायास ही चलता रहा
भोलेनाथ की छाँव में।
इक दिन ऐसा आएगा
तू कुल दीपक कहलाएगा,
इंसान तू अपने शौर्य से
वंश का गौरव बढ़ाएगा।