उपेक्षित Jan Mohammad
उपेक्षित
Jan Mohammadकोई शब्द नहीं
कोई विषय नहीं,
तुम विषय बन जाओ
कोई नया अध्याय शरू,
मग़र तुम मिलो तो कभी
जो नया अध्याय शुरू हो।
तेरी आँखों की छाँव में
यूँ जीवन बिता देंगे,
तुम कल्पना नहीं कर सकते
ऐसे जग झुका देंगे।
पर इस विषय पर कोई
बात शुरू तो हो,
कभी तुम मिलो तो सही
जो नया अध्याय शुरू हो।