आलिंगन में परिणीता suman sabhajeet yadav
आलिंगन में परिणीता
suman sabhajeet yadavरंग गई पग-पग धरा
चहुँ ओर जग विस्मृत भरा
ललित, हरित, उज्वलित
कीर्तिमती हुई दिशा।
गूंज उठी, मधुर ध्वनि
कल-कल तरंग, नवल प्रसंग
स्वर्ण स्वरूप, प्रकाशयुक्त
सुशोभिनी वसुंधरा।
रति श्रृंगार धार धारित
निसर्ग यौवन पर खड़ा
प्रतीत प्राण राग-रंग
मदिर प्रेमाराधना।
विहंग वृंद, जन समूह
पलाश पुष्प, हार गूंथ
उदित स्वर्णिम ऋतु वसंत
आलिंगन में परिणीता।