रिमझिम फुहार Vineeta Verma
रिमझिम फुहार
Vineeta Vermaतपती गर्मी में जिस की चाह में आँखें
आसमान को तकती हैं,
वह रिमझिम फुहार
अब क्यों नहीं बरसती है।
एक आस है झोंका ठंडी हवा का,
आज भी बच्चा सा दिल चहक उठता है,
बढ़ जाती है दिल की धड़कन और तड़प,
के बस बरस जाए बारिश और महक जाए माटी,
और लौट आए बचपन की शरारतें सारी।