प्रेमी मतवाला  विकास वर्मा

प्रेमी मतवाला

विकास वर्मा

हम मतवाले हैं उन किरणों के
जिसमें उनका दिव्यपुष्प खिले,
उनके दिव्य चंद्र-नयनों में अब
इस मतवाले का ही पुष्प खिले।
 

कण-कण में, मन-मन में जहाँ
उनकी चंचल-सी किरण खिले,
उनके सौंदर्यमय लोचनों में अब
इस मतवाले का ही पुष्प खिले।
 

उनके चंद्र-नैन से सदैव जहाँ
प्रभाकर की दिव्य-ज्योति खिले,
उस ज्योति में सदाचित रे रामा
इस मतवाले का ही पुष्प खिले।
 

उनके मुख की सुंदरता में सदैव
चैतन्य-हृदय का सरोवर खिले,
उनके चैतन्य-सागर में कण-कण
इस मतवाले का ही पुष्प खिले।
 

उनके चंद्र-नयनो में, ना हो कभी
नयनजल की करूण-सी बारिश,
उनके सर्वत-सुख: में कण-कण
इस मतवाले का ही पुष्प खिले।
 

जीवन की इस डगर में उनको
बुलंदियों की वह पहचान मिले,
उस पहचान के तन-मन में
इस मतवाले का ही पुष्प खिले।
 

अंतिम पद्म लिखन मतवाला
सारी सुखमय पूरित हो उनके,
उनके उर के प्रेमसागर में अब
इस मतवाले का ही पुष्प खिले।

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