आख़िरी मुलाक़ात  Sachin Prakash

आख़िरी मुलाक़ात

Sachin Prakash

राज़ हैं हमारे कितने
तुम्हें क्या बतलाएँ हम,
हर बार तुम्हारे दर्द में
अपने दर्द छिपाएँ हम।
 

कह दो जो कोई बची है
दिल में कसक वो आख़िरी,
ये शाम है, ये रात है,
ये मुलाकात है आख़िरी।
 

तुम कभी जो साथ थे
तुम अभी जो साथ हो,
मान लो दो ज़िंदगियाँ
ले रही एक साँस हों।
 

उस ज़िन्दगी की किताब में
एक पन्ना अधूरा रह गया,
ख्वाब तो सारे ही देखे
बस जीना अधूरा रह गया।
 

अब जब जाने का ही सोच लिया
मुझे खोने का है सोच लिया,
तो बस इतना अब बतला दो तुम
क्या उसे अपनाने का है सोच लिया।
 

मेरे लिए जो बहते थे
क्या ये आँसू होंगे आख़िरी,
जो लिखा अब तक सिर्फ तुझपे
तो ये कविता होगी आखिरी।

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