कौन थी तुम SHIV VIBHUTI NARAYAN
कौन थी तुम
SHIV VIBHUTI NARAYANकौन थी तुम, कहाँ से आईं,
तुम्हें न जान सका मैं
आकर हुई खड़ी जो
समीप मेरे तुम,
पता नहीं, मुझे ऐसा लगा
कि तुम मेरी हो ख़ास।
तुम्हारे सुनहले बाल
तुम्हारी मीठी मुस्कान,
आ के बस गई
दिल के उस स्थान,
जहाँ से निकाल पाना
नहीं था आसान।
इन नासमझ लोगों के बीच
तुम दिखीं इक समझदार,
जब मैं था पड़ा अकेला
नासमझों के बीच मंझधार।
तू निर्भीक धैर्यवान, तू साहसी,
ना डरी इक बार,
तुमने दिया मेरा साथ
मुझे दिलाया वो सम्मान
जिसे पाने की मैं
छोड़ चुका था आस।
जब मुझे था मिल रहा सम्मान,
तभी सुनाई दी
छन - छन पायल की आवाज़,
देखे जा रही थी तुम उस पार,
हो रहा बेजान, था मैं इस पार।
आँखे तरस गईं
देखने को झलक तुम्हारी,
तू दिख जाती इक बार
तो मिल जाता
दिल को सुकून हज़ार।