ख़ुद की ख़बर नहीं ख़ुद को, पर ख़याल उनका रहता है।
नव वर्ष
1556 3
व्यर्थ है अवसाद करना
1993 1
चलो दूर कुछ और चल कर देखें
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और ना अब बात हो
1859 1
इक रात को रो लूँ बस
1213 0
जी करता है
1370 0
क़सूर मेरा था
1375 0
माँ का चेहरा
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ये कैसी कश्मकश है
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याद तुमको भी आता हूँगा मैं!
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क्योंकि तुम नहीं हो
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शायद तब हम ना होंगे
700 0
बेशक
832 0