नव वर्ष  कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"

नव वर्ष

कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"

नव प्रभात की किरणों से
जीवन को ज़रा अलंकृत कर लें,
दुःख व्यापित जीवन पृष्ठों पर
इक शब्द हर्ष सम अंकित कर लें।
 

आनंद लिए नव वर्ष खड़ा
स्वागत की थाल लिए आओ,
आनंदित भोर खड़ी द्वारे पर
मिल कर के अभिनंदित कर लें।
 

सोच विचारों से आगे बढ़
बस कर्म मेरा विश्वास बने,
आलस की त्याग कलुषता को
हम रोम-रोम उत्साहित कर लें।
 

दुःख के विरुद्ध संग्राम करें
ले हास्य अस्त्र, सद्भाव कवच,
द्वेष-कलेष पराजित कर के
दुःख-विषाद को सूचित कर लें।
 

और...
मैं भूल गया, जो बीत गया
तुम भी भूलो, कल ही तो था,
बंधन अब तोड़ घृणा के सब
अभिमान जरा दण्डित कर लें।
 

नव प्रभात की किरणों से
जीवन को जरा अलंकृत कर लें,
दुःख व्यापित जीवन पृष्ठों पर
अब शब्द हर्ष सा अंकित कर लें।

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