Hello All, I am संजय
मेरे बचपन तुम यूँ ही ठहर जाओ
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आओ रे बदरा
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खाे रहा प्रकृति का साैन्दर्य
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किसान होता परेशान
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शायद तुम्हारा ना आना अच्छा होता
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महिला अत्याचारों पर जालिमों का पर्दा
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आज़ादी की कीमत
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पवित्र रिश्ता सात फेरों का
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अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
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ये वक्त भी गुज़र जाएगा
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वतन के वास्ते
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