शायद तुम्हारा ना आना अच्छा होता संजय साहू
शायद तुम्हारा ना आना अच्छा होता
संजय साहूतुम ना आते तो अच्छा होता,
जीवन में अंधकार ना लाते तो अच्छा होता।
धीरे-धीरे जगमगाता रहता जो ये दीपक तो अच्छा होता,
तुम्हारी दस्तक उसमें सेंध ना लगाती तो अच्छा होता।
कैसे तुम्हें दुआएँ दे दूँ मेरे जीवन में तुम ग्रहण ना लाते तो अच्छा होता,
हृदय मेरा छलनी करके तुम जो अश्रुधार ना बहाते तो अच्छा होता।
प्राणों से प्रिय मेरी जान को तुम ना ले जाते तो अच्छा होता,
घाव तुम्हारा हर पल चुभता है तुम्हें भूल पाता तो अच्छा होता।
2017 तुम ना आते तो अच्छा होता,
जीवन मैं अंधकार ना लाते तो अच्छा होता।।