चंदबरदाई

जीवन परिचय

इनका जन्म लाहोर में हुआ था । इनका और महाराज पृथ्वीराज का जन्म एक ही दिन हुआ था । ये महाराज पृथ्वीराज के राजकवि के साथ-साथ उनके सखा ओर सामंत भी थे । वे षड्भाषा, व्याकरण, काव्य, साहित्य, छंद:शास्र, ज्योतिष, पुराण, नाटक आदि अनेक विद्याओं में पारंगत थे।

इन्हें जालंधरी देवी का इष्ट था जिनकी कृपा से ये अदृष्ट-काव्य भी कर सकते थे। इनका जीवन पृथ्वीराज के जीवन के साथ ऐसा मिला हुआ था कि अलग नहीं किया जा सकता । युद्ध में, आखेट में, सभा में, यात्रा में, सदा महाराज के साथ रहते थे, और जहाँ जो बातें होती थीं, सब में सम्मिलित रहते थे । इन्हें हिन्दी का प्रथम महा कवि माना जाता है। इनका पृथ्वीराजरासो हिंदी का प्रथम महाकाव्य है। चंद दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट महाराज पृथ्वीराज के सामंत और राजकवि के रुप में जाने जाते हैं ।

लेखन शैली

पृथ्वीराजरासो ढाई हजार पृष्ठों का बहुत बड़ा ग्रंथ है जिसमें ६९ समय (सर्ग या अध्याय) हैं। प्राचीन समय में प्रचलित प्रायः सभी छंदों का इसमें व्यवहार हुआ है। मुख्य छन्द हैं - कवित्त (छप्पय), दूहा, तोमर, त्रोटक, गाहा और आर्या। जैसे कादंबरी के संबंध में प्रसिद्ध है कि उसका पिछला भाग बाण के पुत्र ने पूरा किया है, वैसे ही रासो के पिछले भाग का भी चंद के पुत्र जल्हण द्वारा पूर्ण किया गया है।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

पृथ्वीराज रासो

वीर रस
2

कुछ छंद

रौद्र रस
3

पद्मावती

वीर रस
4

तन तेज तरनि ज्यों घनह ओप

वीर रस
5

प्रन्म्म प्रथम मम आदि देव 

वीर रस
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