युगमंच कहानी संग्रह
युगमंच रचनाकारों का कहानी संकलन
देव-साक्षी
यह कहानी सामाजिक परम्पराओं व रूढ़िवादी मान्यताओं की बेड़ियों को तोड़ने को प्रेरित करती है। आखिर कब तक हम इन बेड़ियों से जकड़कर खुद का दम घोंटते रहेंगे, इन सबसे खुद को ही बाहर निकालने की हिम्मत जुटानी होगी।
कहानी पढ़ेंअर्पिता की प्रेम कहानी
किशोर ने अर्पिता को एक खतरनाक प्लान बताया और कहा कि श्याम को अपने रास्ते से हटाने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं है, लेकिन अर्पिता अपने पति से भी प्यार करती थी इसलिए वह उसे नुकसान पहुँचाना नहीं चाहती थी।
कहानी पढ़ेंहम उम्र दोस्त
दोनों बचपन के हम उम्र दोस्त थे, दोनों को साथ-साथ रहना पसंद था, अतः दोनों का अधिकांश समय साथ-साथ ही बीतता था। दोनों लड़ते भी थे लेकिन एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे, दोनों बड़े होने लगे दोनों का प्रवेश एक ही स्कूल में तथा एक ही कक्षा में हो गया।
कहानी पढ़ेंघूंघट...शर्म का पर्याय
हमारे समाज ने घूंघट को शर्म का पर्यायवाची भले ही बना दिया हो लेकिन ऐसा नही हैं! असल बात यह है कि शर्म तो व्यक्तित्व का हिस्सा होती है। उसे घूंघट या आँचल के रखे जाने से जोड़ना सही है? समयानुसार रीतिरिवाजों में परिवर्तन करना समझदारी भी है और ज़रूरी भी। महिलाएँ बाहर भी काम करें और उनसे घूंघट की उम्मीद भी की जाए तो क्या यह उनके साथ न्याय होगा?
कहानी पढ़ेंस्त्री ही ‘बाँझ’ क्यों..?
कहने को तो हमारे समाज ने बहुत तरक्की कर ली है पर आज भी किसी दंपत्ति के बच्चा न होने का दोष केवल स्त्री पर ही मढ़ा जाता है, उसे बांझ, बंजर जमींन.. आदि ताने सुनने पड़ते हैं। यह जानते हुए भी कि बच्चे को जन्म देने के लिए पति व पत्नी दोनों जिम्मेदार होते हैं। यह तो विज्ञान ने साबित भी कर दिया है। यह कहना ज़रूरी है कि अब समाज में पढ़े-लिखे लोगों के नजरिये में बदलाव आ रहा है और अब समस्या होने पर पुरूष भी अपना टेस्ट कराने में झिझकते नहीं हैं। पर इस मानसिकता को और आगे बढ़ने की जरूरत है क्योंकि आज भी अधिक संख्या टेस्ट कराने को पुरूष की मर्दानगी पर शंका करना मानने वालों की ही है। इसी भाव को प्रस्तुत करती एक कहानी!
कहानी पढ़ेंमाता-पिता के साथ से शर्म क्यों?
जिन बच्चों को एक अच्छा जीवन देने में माँ-बाप अपना सब त्याग देते हैं, उन ईश्वर समान माँ-बाप की सेवा और सत्कार करना पता नहीं बच्चों को भारी क्यों पड़ने लगता है? जो समय वह बच्चों को बड़ा करने के चक्कर में साथ नहीं गुजार पाए, अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने के बाद वे उस समय को पाने के हकदार हैं, लेकिन ऐसा बच्चे क्यों नहीं सोच पाते! ऐसे ही कुछ विचारों को सँजोती यह एक कहानी!
कहानी पढ़ें'खुशियों' का डिब्बा..
किसी भी रिश्ते की नींव सिर्फ प्यार और विश्वास से नहीं अपितु आपसी समझदारी भी होती है। विवाह एक ऐसा रिश्ता है जहाँ आप अपने साथी को चुन पाते हैं। आप उसे उसकी सारी कमियों और अच्छाइओं के साथ अपनाते हैं, फिर भी जीवन की गाड़ी चलते-चलते कई बार हिचकोले खाती है! उस वक़्त आवश्यकता होती है सहनशीलता से समय को निकाल लेने की! ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत करती एक कहानी!
कहानी पढ़ेंपैसे और सामान से नहीं बनते रिश्ते
समाज के ठेकेदारों ने परम्पराओं की आड़ में पुत्र और पुत्री के जन्म होने पर खुशियों तक को अलग-अलग तराज़ू में तोलने के तरीके निकाल लिए हैं! बेटा हुआ तो पूरे शहर में डंका बजेगा और अगर बेटी हुई तो मानो जैसे कितना बड़ा दुख सिर आन पड़ा है!
कहानी पढ़ेंआईसीयू
आईसीयू में ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहे पिता की उसके बेटे से एक मर्मस्पर्शी मुलाकात।
कहानी पढ़ेंदोहरा बोझ
घर के काम और खाना बनाने के लिए रितु किसी नौकरानी को भी रखने के लिए उदय से बात कर चुकी थी। वो कई बार बता चुकी थी कि उससे नौकरी और घर का सारा काम नहीं हो पाता। शरीर और दिमाग थक के चूर हो जाता है। दोहरा बोझ उससे उठाया नहीं जा रहा था।
कहानी पढ़ेंदोषी कौन?
यह उन महिलाओं की कहानी है जिन्हें ज़बरदस्ती, धोखे से वैश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है और वो उम्रभर यही सोचती रहती हैं कि आख़िर क्या उनकी गलती इतनी बड़ी थी कि उन्हें पूरा जीवन उसकी सज़ा भुगतनी पड़े।
कहानी पढ़ेंनशा मुक्ति
माता पिता को अपने बेटे से असीम उम्मीदें थीं लेकिन कुसंग मे पड़कर वह नशा करने लगता है और नशे का आदी हो जाता है । इस परिवार पर क्या गुजरती है । कैसे क्या समाधान होता है ? कृपया कहानी पढ़ें ।
कहानी पढ़ेंप्रेरणा
यह कहानी कहीं न कहीं मेरे से जुड़ी हुई और मेरे बेहद करीब है। कभी-कभी किसी के द्वारा कही गई छोटी सी बात आपके जीवन जीने का नज़रिया ही बदल देती है।
कहानी पढ़ेंछोटी सोच किसकी?
एक ठुकराई हुई लड़की से शादी करने वाले लड़के की सोच को उसके घर वालों ने छोटी सोच करार दिया लेकिन क्या वाकई उसकी सोच छोटी है? इसी के इर्द-गिर्द घूमती कहानी है- छोटी सोच किसकी?
कहानी पढ़ेंप्यार का इम्तिहान
विहान का पूरा ध्यान अपने काम पर है और वह जल्द ही अपने सपनों के आकाश को छू लेना चाहता है। इसलिए दिन-रात पूरी लगन और ईमानदारी से अपने काम में जुटा हुआ है। पर उसे क्या पता था कि उसकी दुनिया एकदम बदलने वाली है।
कहानी पढ़ेंव्रत
बचपन से ही बच्चों में धर्म के प्रति रुचि निर्माण की जाए तथा अपनी परंपराओं का आदर करना सिखाया जाए तो वे कभी पथभ्रष्ट नहीं होंगे।
कहानी पढ़ेंसोने पर सुहागा
लड़के वाले आ रहे हैं शायद उसको देखने, यह उसको नौकरों की फ़ौज से अभी-अभी पता लगा। जिसको अनिल इतना ज़्यादा चाहता था, वैसे ही जैसे हीर-रांझा, शीरी-फ़रहाद की कहानियों में लिखा था मगर यह प्यार शायद एकतरफा था क्योंकि कभी आते-जाते ही औपचारिक बातचीत ही हो पाई थी नूपुर से ....
कहानी पढ़ेंगिरनार पर्वत
गुजरात का सबसे ऊंचा पर्वत गिरनार जो हिमालय का भी दादा माना जाता है। गिरनार पर्वत के चारों ओर 33 कोटि देवताओं का वास है। इसलिए लाखों लोग पैदल चलकर 36 किमी. की ये कठिन परिक्रमा करते हैं। कार्तिक एकादशी के दिन लोग दूर दूर से इस पर्वत की परिक्रमा करने आते हैं।
कहानी पढ़ेंपथ-प्रेमी (एक सफर अनंत)
एक पथ प्रेमी का सफर ताउम्र चलता रहता है और यह एक अनंत सफर है जो आख़री साँस से ही संपन्न होता है!
कहानी पढ़ेंसालगिरह
सालगिरह किसी भी युगल के लिए एक बड़ा ही यादगार और भावुक दिवस होता है। शादी के चार दशक लग जाने के बाद भी मेरे मन से इसकी महत्ता तनिक भी कम न हुई थी और इसमें तब चार चांद लग गए जब उन्होंने सुबह ही आकर मेरे माथे को चूमकर मुझे जगाया। पर यह खुशी क्षणिक ही साबित हुई।
कहानी पढ़ेंअंतर्द्वंद्व
नलिनी ने सिद्धांत से कोर्ट- मैरिज़ की थी। उसके मन में अंतर्द्वंद्व चल रहा था कि वो इन पाँच सालों में उसके साथ जो कुछ भी हुआ है वो अपने घरवालों को बताए या नहीं? बताए तो कैसे? एक दिन अचानक मोबाइल की घंटी बजी। मोबाइल पर आवाज़ आई की पापा हॉस्पिटल में भर्ती हैं तुम ज़ल्दी आ जाओ।
कहानी पढ़ेंगरीब की लाचारी
गरीब का सच में किसी से कोई रिश्ता नहीं होता, उसका तो सिर्फ लाचारी से नाता होता है और आजीवन वही उसके साथ रहती है
कहानी पढ़ेंसरकारी योजना
सरकारी योजना के तहत प्राप्त धन को ऐसे कार्यों पर खर्च किया जाए, जिससे आम अदमी का जीवन स्तर बेहतर बने। परंतु दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता है।
कहानी पढ़ेंइश्क़ करना और इश्क़ में होना एक नहीं होता
इश्क़ कीजिए तो किसी का इश्क़ बनकर ताकि परिभाषाएँ बदलने पर आप ना बदल जाएँ।
कहानी पढ़ेंछह दिन की खुशी
वर्षों से रश्मि ने जिस पल का इंतज़ार किया, वह क्षण आज उसके जीवन में आया है। पर कहीं यह खुशी क्षणिक तो नहीं या उसके जीवन की एक नई दिशा है।
कहानी पढ़ेंछलावा
जिसने विवाह से पूर्व ही खुद को किसी को समर्पित कर दिया हो वो एक आदर्श संगिनी कैसे बन पाएगी? क्या पता तुमने मेरे अलावा भी और कितनों का दिल खुश किया हो। स्त्री जब तक अपनी मर्यादा में रहती है, तब तक ही स्त्री है। अपनी मर्यादा लांघते ही वह चरित्रहीन हो जाती है।
कहानी पढ़ेंनिकम्मा नारद
यह कहानी हास्य-व्यंग्य से गुज़रते हुए देश के प्रति असीम समर्पण तक जा पहुँचती है। एक गाँव का भोला-भाला आदमी अपनी निस्वार्थ सेवा और निःशुल्क मदद से निकम्मा माना जाता है, समाज में उसे कोई अहमियत नहीं दी जाती। किन्तु जब किसी व्यक्ति, समाज या देश पर संकट आता है तो यही निकम्मा उसे उबारने के लिये निःसंकोच आगे आता है। अन्य लोग या तो खिसक जाते हैं या मूकदर्शक बनकर अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं।
कहानी पढ़ेंबेटी शारदा
यह कहानी वर्तमान समाज में लड़कियों के प्रति हमारे विद्रुप नज़रिए को प्रतिबिम्बित करती है। पराए घर जाने वाली और दहेज के बोझ से कुंठित मन अपनी पुत्री के जन्म से दुखी हो जाता है किन्तु जब अपने जीवनकाल में कोई अपनी संतानों की आदतों का मूल्यांकन करता है तो अपनी पुत्री के आगे कोई नहीं पाता। यह दुर्भाग्य है कि जब तक हम पुत्री का महत्व समझ पाते तबतक हम सब कुछ खो चुके होते हैं। बस बाक़ी जीवन पश्चाताप करते बीत जाता है।
कहानी पढ़ेंधैर्य और स्त्री
सच कहते हैं सशक्त वही है जो धैर्य से परीक्षा दे जीवन की और बनाए इंद्रधनुषी संसार।
कहानी पढ़ेंदो समधी
उस दिन बस में आखिर उन दो समाधियों के साथ ऐसा क्या हुआ, जिसने मुझे कलम चलाने को मजबूर कर दिया। पढ़ें मेरी लघुकथा "दो समधी" में।
कहानी पढ़ेंसमाज की मानसिकता
आज से भले ही हमारा समाज आधुनिक हो गया है, यहाँ पढ़े लिखे लोग हैं, परंतु पुत्र के संबंध में आज भी लोग वही पुरातन सोच रखते हैं। ऊपर से दिखाते हैं कि लड़की होना सौभाग्य बात है परंतु मन में लड़के के जन्म की ही कामना करते हैं।
कहानी पढ़ेंअधूरी दास्ताँ
इस गहरी ख़ामोशी के बीच नज़र शोर मचाते हुए क्या काम कर रही थी, ये उसकी नज़र जानती और मेरी नज़र जानती थी।
कहानी पढ़ेंअकेली शाम या मैं
माना अकेलापन स्वयं के खोज की कुंजी है किंतु कभी कभी इंसान इसी अकेलेपन में डूब भी जाता है।
कहानी पढ़ेंमीरा
ईश्वर द्वारा प्रदत्त जीवन अनमोल है। हमारा यह जीवन कई उतार-चढ़ाव से होकर गुज़रता है। कई लोग अपने जीवन के चढ़ाव को संभाल नहीं पाते और कई लोग अपने जीवन के उतार में संभल नहीं पाते। जीवन जीने की कला किताबों से नहीं, अनुभवों से आती है। मीरा ने अपने कठोर जीवन को सरल बना इस बात को प्रमाणित कर दिया है।
कहानी पढ़ेंसंवेदनहीनता
आजकल के युवा बच्चे जब अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं तो अपने माता-पिता की सोच को महत्व देना बंद कर देते हैं।
कहानी पढ़ेंनुमाईश
हर लड़की समाज में व्याप्त रूढ़िवादी परम्पराओं से मुक्ति चाहती है। ऐसा नहीं है कि वह परिवार तोड़ने या पुरुषवर्ग का विरोध करती है वरन वह परिवार भी चाहती है और पुरुष का सहारा भी लेकिन साथ ही साथ वह स्वतन्त्र पहचान और अपना स्वतन्त्र अस्तित्व भी कायम करना चाहती है।
कहानी पढ़ेंसाक्षरता से साक्षात्कार
साक्षर होना समय का तकाजा है। राज्य सरकार ने अपने प्रदेश में शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य हासिल करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान का बिगुल फूँका। संयोगवश मुझे सहायक शिक्षक के रूप में इस अभियान का हिस्सा बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ। उन दिनों मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा था। पर इस सुनहले अवसर को पाकर मैं अपने को रोक न सका।
कहानी पढ़ेंसंकेत
इन सब के बावजूद भी दिशा के चेहरे की मुस्कान बनी रहती जैसे उसने दर्द को अपनाकर मुस्कुराना सीख लिया हो। बीमारी ने दिशा के शरीर को जरूर दुर्बल कर दिया था पर मन से उसने काफी हार नहीं मानी, यही वजह थी कि कई बार कोमा जैसी स्थिति में मृत्यु से साक्षात्कार करके भी वह ज़िन्दगी का दामन थामे मुस्कुराती हुई सब को चकित कर जाती।
कहानी पढ़ेंअंतर्जातीय विवाह
शादी ना केवल दो व्यक्तियों में होती हैं बल्कि दो परिवारों में होती है और बुजुर्गों को समय के अनुसार बदलना ही पड़ेगा अगर बच्चों की ख़ुशी प्यारी है और सामाजिक उत्थान के प्रति सचेत हैं तो।
कहानी पढ़ेंमेरी अविस्मरणीय सेवा-यात्रा
मेरी सेवा-यात्रा कई दृष्टांतों से परिपूर्ण है जिसमें झारखण्ड राज्य की यात्रा कई मायनों में मेरे परिवार के लिए अविस्मरणीय हो गई। इस दौरान मैंने दोस्ती की कीमत, स्त्री की क्षमता और परिवार के महत्त्व को भलीभांति समझा। सबसे बढ़कर उस विरह-वेला में पति-पत्नी एवं माँ-बच्चों के प्यार का उन्नयन सर्वोत्तम देन रही। इन्हीं दृष्टांतों को मैंने प्रस्तुत रचना में समेटने की कोशिश की है।
कहानी पढ़ेंसुधिया की दीपवाली
गरीबी काफ़ी कष्टकर होती है। यह तब और दयनीय हो जाती है जब परिवार के मुखिया गैर-जिम्मेदार हो जाते हैं और समाज इसकी उपेक्षा करने लगता है। यह कहानी इसका एक ज्वलंत उदाहरण है।
कहानी पढ़ेंघात
घात एक रिश्तों के इर्द-गिर्द बुनी मानवीय भावनाओं पर आधारित कहानी है। दोस्ती, प्यार और उस पर हालातों के बुने हुए जाल में कौन, किसकी 'घात' लगा ले, कोई कह नहीं सकता। घात ऐसे ही रिश्तों के विश्वास या विश्वासघात की कहानी है।
कहानी पढ़ेंअकेली शाम या मैं
प्रस्तुत कहानी में कुछ सवाल हैं, कुछ ख्याल हैं, पर जो भी है कुछ जाना पहचाना सा है।
कहानी पढ़ेंघृणा
यह कहानी हमे दर्शाती है कि कैसे समाज में लोग किसी के व्यवसाय को उसकी पहचान बना देते हैं।
कहानी पढ़ेंआओ चलें नाना के घर
बाल मन के अपनी गर्मी की छुट्टी में नानाजी के घर जाने के उत्साह का वर्णन
कहानी पढ़ेंग्रामीण चुनाव का एक परिदृश्य
चुनाव के समय में प्रत्याशियों और मतदाताओं की मनोदशा का हास्यात्मक वर्णन।
कहानी पढ़ेंअधूरी मित्रता
जीवन के हर मोड़ पर हमें नए-नए दोस्त मिलते हैं और पुराने दोस्त पीछे छूट जाते हैं। उन पुराने दोस्तों की यादों के सहारे ही हम जीवन पथ पर आगे बढ़ते हैं। वो यादें मीठी भी होती हैं और टीस भी बहुत देती हैं। यह कहानी ऐसे ही दो दोस्तों के अलग-अलग जीवन पथों पर जाने की है।
कहानी पढ़ेंकर्मयोग
मानवीय जीवन के अनुभव के रूप में क्रियमान कार्य या पूर्व कर्म आपके लिए एक उदाहरण के रूप में कथा किवदंतियों के रूप में स्थापित हो जाते हैं, ऐसा ही मेरे जीवन का एक घटनाक्रम इस कहानी की भूमिका के रूप में प्रस्तुत है।
कहानी पढ़ेंवहशी कौन?
दरअसल आदमी से ज्यादा बेहतर, संवेदनशील और तरक्कीपसंद होने के साथ-साथ घटिया, कोई दूसरा प्राणी इस पृथ्वी पर है ही नहीं। अपने आपको ईश्वर की श्रेष्ठ कृति बताने वाला यह प्राणी अपनी घटिया हरकतों को पाश्विक या जानवरों जैसा व्यवहार करने में बिलकुल भी संकोच नहीं करता।
कहानी पढ़ेंअच्छा या बुरा
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कोरोना ने मानव जीवन को अस्त व्यस्त करके रख दिया है। कोरोना ने मानव सभ्यता में एक ऐतिहासिक बदलाव कर डाला है, बहुत कुछ बुरा हुआ है। लेकिन मैं समझता हूँ कोरोना काल कुछ अच्छा परिवर्तन भी लेकर आया है। इसलिए मेरे लिए यह कहना कठिन है कि कोरोना काल अच्छा है या बुरा।
कहानी पढ़ेंआकाश बाबू
यह कहानी एक छोटे से गाँव के उस होनहार बालक के जीवन पर आधारित है जो बड़ी कठिनाई और परेशानी से पढ़ लिख कर के बड़े अभियंता के रूप में पदस्थापित हुआ, जिसने अपने गाँव के विकास और प्रगति के लिए जी-जान एक कर दिया और गाँव की भलाई के लिए खूब कम किया।
कहानी पढ़ेंनज़रिया
हमारी ज़िन्दगी में नज़रिया बहुत ज्यादा मायने रखता है। अगर हमारी सोच अक्सर सकारात्मक होती है तो हमारा नजरिया सकारात्मक होता है।
कहानी पढ़ेंशिक्षित बेटी सुरक्षित भविष्य
बेटी पढाओ भविष्य बनाओ। समाज को जागरूक करने के लिए माता पिता की सजगता व बेटी के अधिकार की पृष्ठभूमि में लिखी गई रचना जिसका कथानक सदा बेटियों को प्राथमिकता देने का उद्घोष किया करता है। बेटियों को सौंप कर तो देखिये जिम्मेदारी वो आपके भरोसे को कभी टूटने नही देंगी।
कहानी पढ़ेंठिठुरन
समाजसेवा का दर्द और पीड़ा केवल चंद लोगों को ही होती है। कुछ लोग समाज में अपना रूतबा बताने के लिए समाजसेवा का पाखण्ड करने लग जाते हैं। कुछ लोग समाज में सम्मान पाने के उद्देश्य से ही सेवा करने का ढोंग कर रहे हैं।
कहानी पढ़ेंकाजोल
पशुओं में भी मानव जैसी संवेदनाएँ होती हैं। उन्हीं संवेदनाओं से प्रेरित होकर मैंने यह कहानी लिखी है।
कहानी पढ़ेंबेरवाली
अक्सर छोटा व्यवसाय करने वालों के प्रति हम गलत सोच रखते हैं। प्रस्तुत कहानी भी इसी भाव से सम्बंधित है।
कहानी पढ़ेंस्वाभिमान
निराधार योजना बहुत अच्छी है परंतु यह सच में जरूरतमंदों तक पहुँच रही है या नहीं यह देखना सरकार की जिम्मेदारी है। आज भी कई वृद्ध व्यक्ति सड़कों पर बेसहारा पाए जाते हैं। उनकी मदद करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
कहानी पढ़ेंहाय रे... प्याज़!
मौजूदा दौर की एक ऐसी शय की कहानी जो आँखों में पानी लाने के लिए काफ़ी है...
कहानी पढ़ेंहवाई अड्डा
वर्त्तमान समय में हर कोई अनदेखे भविष्य को सँवारने में लगा है, कोई वर्त्तमान का आनंद नहीं लेता है। ये कहानी भी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक अनदेखे भविष्य को सँवारने के लिए अपना सब कुछ छोड़ कर नए देश में जा रहा है। ये कहानी उसके मनोभावों को व्यक्त करती है।
कहानी पढ़ेंजीने की ताकत
मेरे अनुसार एक आदर्श जीवन ऐसा होना चाहिए जिसमें सुख हो, दुःख हो, शांति हो और चैन भी हो। दो वक्त की रोटी और सबसे बड़ी बात प्रेम और विश्वास भी हो।
कहानी पढ़ेंसमीर-सागर की होली
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से बताया गया है कि हमेशा एक दोस्त ही बुरे वक्त पर काम आता है।
कहानी पढ़ेंबेरोज़गारी
ट्रेन के उस बुजुर्ग की बातें समयहीन थी। उसकी विचारधाराएँ किसी एक समय या परिस्थिति में चरितार्थ नहीं थी। समय कुछ भी हो, पीढ़ी कुछ भी हो, स्थितियाँ कुछ भी हों पर सफलता का राज़ नहीं बदलने वाला। सफलता बेरोज़गारी की समस्या की मुहताज़ नहीं हो सकती। सफलता केवल आपकी मेहनत पर निर्भर करती है।
कहानी पढ़ेंबेटी - मेरा अभिमान
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से बेटी और बेटो में अंतर न करने और दोनों को समान समझने पर बल दिया गया है।
कहानी पढ़ेंडिजिटल इंडिया
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के 'डिजिटल इंडिया' को समर्पित। यह कहानी पूर्णतः सत्य घटना पर आधारित है।
कहानी पढ़ेंराष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और कोट पैंट
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से गाँधी जी के व्यक्तिव व महानता के बारे में बताने का प्रयास किया गया है
कहानी पढ़ेंबेटियाँ त्याग करती हैं
एक दिन परेशान हो कर काजल ने अपनी माँ से पूछा - माँ, प्रिंस मुझसे छोटा है और वो शहर के प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाता है, तो मैं क्यों नहीं जा सकती ? उसकी माँ ने कहा - प्रिंस लड़का है और तुम लड़की हो इसलिए।
कहानी पढ़ेंहौसले की उड़ान
सपना ने अपनी अंधेरी ज़िंदगी में किस तरह से उजाला किया और कैसे अपने जीवन में हो रही मुश्किलों से स्वयं को उबारा? हिम्मत और इच्छाशक्ति से अपने जीवन साथी को एक मंद बुद्धि से प्रख्यात चित्रकार बनाया, पढ़िए मेरी कहानी हौसले की उड़ान में। कुछ कर गुज़रने की चाहत और दृढ़ संकल्प से इंसान बड़ी से बड़ी मुसीबत के ऊपर भी जीत हासिल कर सकता है।
कहानी पढ़ेंअनिका एक पहेली
वह बोली क्या आप एक जान बचाना चाहेंगे, यहाँ एक एक्सीडेंट केस आया है और उसे खून की बेहद आवश्यकता है, आपका एक बोतल खून उसकी जान बचा सकता है। हमें ओ पॉजिटिव खून ही चाहिए।
कहानी पढ़ेंचुनाव
लालाराम के लिए ये चुनाव जीतना बहुत ज़रूरी था क्योंकि अगले वर्ष उनका नागरिक पार्टी की ओर से नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का विचार था। सोसाइटी का चुनाव हारने से उनके प्रतिद्वंदियों को उनके खिलाफ मोर्चा खोलने का बहाना मिल जाएगा और उनको चुनाव टिकट प्राप्त करना मुश्किल होगा।
कहानी पढ़ेंइतनी अच्छी भी नहीं होनी चाहिए
इस संसार में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी बुरी आदतों को से कभी बाज़ नहीं आते, चाहे उनको कितना बड़ा सबक ही क्यों न मिल जाए, यह व्यंगात्मक कहानी ऐसे ही एक व्यक्ति पर आधारित है जिसके पीछे एक सीख भी छुपी हुई है।
कहानी पढ़ेंफुफकार
मनुष्य को सरल होना चाहिए परन्तु सरल दिखना नहीं चाहिए ताकि वह असामाजिक तत्वों से अपनी सुरक्षा कर सके, यह कहानी इसी सीख पर आधारित है।
कहानी पढ़ेंनिर्मम वट
यह कहानी मानव एवं प्रकृति से जुड़ी एक दर्द देने वाली सत्यता को दर्शाती है, जिस तरह मनुष्य अपने लाभ हेतु दूसरे जीवों का शोषण करते हैं उसी प्रकार प्रकृति भी ऐसा ही करती है।
कहानी पढ़ेंसब कुछ तो यहीं फेडना है
हर माँ को लगता है उसकी बेटी को सारे ऐशो आराम मिले परंतु बहु के लिए वह इस प्रकार नहीं सोचती। आज भी हमारे समाज में यह अंतर देखने को मिलता है।
कहानी पढ़ेंबेबसी
मनुष्य परिस्थितियों का दास होता है। हम बचपन से ही यह सुनते आए हैं। सही बात है, समय से अधिक बलवान कुछ नहीं। वही हमें आज राजा बनाता है वही कल रंक बना देगा। इन आज-कल के पहियों पर चलता हुआ समय कभी-कभी हमें अप्रत्याशित रुप से परेशानी में डाल देता है और हम सभी प्रयासों के बावजूद भी अभिलषित लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाते और समय दुःख और दुर्भाग्य के हाथों हमारी परीक्षा लेता है। इसीलिये इसके विषम होने पर भी सम रहें, सच्चाई और इमानदारी के मार्ग से कभी विचलित न हों।
कहानी पढ़ेंप्यार भी नफरत पैदा करता है
प्यार कोई मज़हब या धर्म देख कर नहीं करता, प्यार एक ऐसा एहसास है जो कभी भी किसी को किसी से भी हो सकता है। इसलिए प्यार में धर्म और मज़हब को लाकर नफरत नहीं फैलानी चाहिए।
कहानी पढ़ेंरिश्ते
माँ बाप के लिए बच्चों में इस प्रकार की तुलना करना घातक होता है, बच्चों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रशांत के दिमाग पर भी इसका गलत असर पड़ा और वह अधिक उदंडी हो गया। विवश होकर प्रभाकर को उसे शिमला के बोर्डिंग स्कूल में भर्ती कराना पड़ा। प्रशांत बहुत दुखी हुआ, रोया, चिल्लाया, पर प्रभाकर अपने फैसले पर अटल थे, वह प्रशांत के उज्जवल भविष्य की कामना कर रहे थे।
कहानी पढ़ेंएक ख़ामोश सुबह
यह कहानी एक व्यक्ति के मन की व्यथा बताती हुई प्रतीत होती है। जो बरसों से एक शहर में रह रहा है मगर हालातों के चलते उसे अपना घर छोड़कर किसी दूसरे शहर में जाना पड़ रहा है। जिस दिन वो घर छोड़कर जाने वाला होता है उस दिन उसकी मनोदशा क्या होती है, उस पल वो कैसे महसूस करता है उसके मन में विचारोंका समंदर किस तरह से हिलोरें मारता है। ये कहानी उस पल उसके मन की स्थिति को समझने का एक छोटा सा प्रयास करती प्रतीत होती है।
कहानी पढ़ेंदादू की सीख
देश के स्वच्छता अभियान को सार्थक परिभाषित करती हुई एक छोटी सी कहानी जो दादा और पोते के आपसी सामंजस्य और प्यार को बढ़ाती है और यह दर्शाती है कि बच्चों को किस तरह सादगी के साथ भी सीख दी जा सकती है। यह छोटी सी कहानी स्वच्छता का बड़ा सन्देश देश को दे रही है साथ ही सड़क पर चलते वक्त बहुत सी चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए इसकी भी सीख देती है।
कहानी पढ़ेंजाति क्यों नहीं जाती ?
हमारे समाज में जात-पात, छूत-अछूत जैसी कुरीतियाँ बहुत सारे खूबसूरत रिश्तों को तोड़ देती हैं। बहुत खूबसूरत रिश्ते को उपजने नहीं देती हैं। ये जात-पात का भेदभाव हमारे समाज को खोखला बना रहा है।
कहानी पढ़ेंविप्लव - एक पवित्र प्रेम कहानी
कहानी के माध्यम से बताने का प्रयत्न किया गया है कि प्रेम एक पवित्र रिश्ता है जो कभी खतम नहीं होता
कहानी पढ़ेंमुँह बोली बहन
इस कहानी के माध्यम से यह बताने का प्रयत्न किया गया है कि हम कैसे पराए को भी अपना बना सकते हैं
कहानी पढ़ेंवैश्यालय
ये कहानी उस जगह पर आकार लेती है जिस जगह का नाम सभ्य समाज में बड़ी ही बेरुखी से लिया जाता है। कोई इसे वैश्या बाज़ार कहता है तो कोई तवायफ खाना। लेकिन मैंने जान बूझकर इस कहानी को वैश्यालय कहा हैं क्योंकि हिंदी में आलय का मतलब होता है घर और घर वो जगह होती है जहाँ हम आज़ाद होते हैं और अपनी मनमानी कर सकते हैं, लेकिन वैश्याओं के घर में उन्हें अपनी मनमानी या आज़ाद तरीके से जीने का हक नहीं होता और न ही किसी से प्यार करने का। लेकिन इस कहानी में वैश्यालय में मोहब्बत पनपती है और इश्क़ का धुआँ उठता है। एक लड़का एक तवायफ के दिल में मोहब्बत का मल्हार छेड़ कर जाता है। मोहब्बत के इस राग को मैंने अपने तरीके से बयाँ करने की कोशिश की है, उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
कहानी पढ़ेंसोच बदलेंगे देश बदलेगा
देश में छिपी कुरीतियों को हटाना और समाज से अलग कर दिए गए लोगों को जोड़ कर युवाओं की सोच की मदद से देश को प्रगति के रास्ते पे ले जाना इस कहानी का उद्देश्य है।
कहानी पढ़ेंमोची
प्रस्तुत कहानी "मोची" लेखक के साथ घटे वास्तविक प्रसंग का शाब्दिक रूपांतरण है। इस कहानी के माध्यम से लेेखक एक इंसान की सहनशक्ति व स्वाभिमान को प्रदर्शित करना चाहता है और साथ ही इस बात पर भी समाज का ध्यान ले जाना चाहता हैै कि हम प्रतिदिन ऐसे कई व्यक्ति देखते हैं जो कठिनतम परिस्थितियों में भी भीख नहीं माँगते और इस मोची की तरह अपने स्वाभिमान की अलख जगाए रखते हैं।
कहानी पढ़ेंप्रकृति से संघर्ष
कहानी में मनुष्य का प्रकृति से संघर्ष और सतत प्रयासरत रहने की इच्छा तथा जिजीविषा को दिखाया गया है
कहानी पढ़ेंवो शहर कहीं खो गया
नब्बे के दशक में जन्मे एक लड़के ने जिस शहर को देखा, जहाँ पला- बढ़ा, आज लगभग दो दशक बाद फिर से वापस उसी शहर को करीब से देख रहा है। जीवन के शुरूआती दौर में उसने जिस शहर में समय बिताया, वक़्त के साथ सामाजिक और नैतिक परिवर्तन ने उसके हृदय को मर्माहत कर दिया।
कहानी पढ़ेंमंगल बाई
संघर्ष की लगन ही व्यक्ति की लक्ष्य की ओर गति को थमने नहीं देती, आशा की किरण को टूटने नहीं देती, बल्कि उत्साह, उमंग को निरंतर बढ़ाती है और यही कारण है कि आज देश में अभावों के अंधेरों के बीच भी सफलता की रोशन राहें निकल रही हैं। जो यह भी बताती हैं कि सहूलियतों के बीच जीवन जीकर सफलता पाना और मुकाम बनाना ही सब कुछ नहीं है, बल्कि जीवन की सही समझ के लिए अभावों के बीच जीवन जीना भी ज़रुरी है, तभी जीवन के सही मर्म व अंदाज़ का पता चलता है।
कहानी पढ़ेंपानी
व्यक्ति समस्यायों से घिरा रहता है एवं उनसे हारकर कुछ कुकृत्यों को विवशता में कर देता है। मगर बार-बार दोहराया जाना उसे अपराध की ही श्रेणी में खड़ा करता है।
कहानी पढ़ेंवारिस ... बेटी एक वरदान
प्रस्तुत कहानी बेटी के प्यार, त्याग और बलिदान की पराकाष्ठा को चित्रित करने का प्रयास किया है
कहानी पढ़ेंधर्म
धर्म का इस्तेमाल यदि गलत मानसिकता से किया जाता है तो वो लोगों को बेसहारा कर देता है, जबकि धर्म का सही इस्तेमाल लोगों को सहारा देता है। अनेक लोगों के अनेक धर्म हो सकते हैं पर इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
कहानी पढ़ेंये कैसा प्यार?
इस कहानी के माध्यम से हमारे समाज में लड़कियों के प्रति हो रहे गलत व्यवहार को उजागर करने का प्रयत्न किया है
कहानी पढ़ेंपंखों की फड़फड़ाहट
बच्चों के विदेश जाने के बाद जीवन कितन नीरस और बेरंग हो जाता है, ना त्योहार अच्छे लगते हैं, ना बड़े घर और न पैसा खुशी देता है। बीमार होने पर केवल स्कायप पर उसे वर्चुअल देख सुन कर दिल भर आता है। शुभम तो कहता है कि अब वह वहीं बस जाएगा, वहीं की लड़की से शादी भी कर ली, हमें बुलाया था, बस कुछ सिग्नेचर हुए और विवाह संपन्न।
कहानी पढ़ेंदो ख़त
आधुनिक बनने और समाज को दिखाने के लिए आज का युवा वर्ग अपने माता-पिता के विचारों के साथ-साथ उनके सम्मान को भी ठेस पहुँचाने लगा है। यह कहानी दो दोस्तों के प्रेम और शर्मा जी के बेटे के इर्द-गिर्द घूमती है। शर्मा जी अपने पुत्र मोह को त्याग गए, कारण था अपने मित्र के प्रेम और वादे को न त्याग सके।
कहानी पढ़ेंमहत्वाकांक्षा
महत्वाकांक्षा अगर जीवन को सुखी बनाने हेतु की जाए तो अच्छी है और अगर उसे दूसरों से आगे बढ़ने का जरिया बना लिया जाए तो परिणाम बहुत ही भयानक सिद्ध होता है।
कहानी पढ़ेंवो बंद खिड़की
ये कहानी आज के समाज के लोगों के बदलते नज़रिये, बदलती सोच, महिलाओं के प्रति उनकी हैवानियत को उजागर करती है
कहानी पढ़ेंपूरब भैया
नेहा ने आकाश को समझाने की कोशिश की पर आकाश को कोई फर्क नहीं पड़ा। कोई बदलाव नहीं, कॉलेज के पहले दिन से आखिरी दिन तक बिलकुल वैसा ही। जब भी उसे कोई बात अच्छी नहीं लगती उसके ‘पूरब भैया’ बीच में आ जाते और सारा मजा किरकिरा हो जाता। हमने कई बार कोशिश की पूरब भैया से मिलने की पर आकाश...कोई न कोई बहाना बना देता।
कहानी पढ़ेंतत त्वम असि
जीवन अनुभव के लिए है। सत्य के अनुभव के लिए...दूसरे शब्दों में कहें तो स्वयं के अनुभव के लिए। जीवन में घटने वाली तमाम घटनाएँ किसी न किसी प्रकार से स्वयं का साक्षात्कार कराती हैं।
कहानी पढ़ेंजिजीविषा!
प्रमिला को देखकर कह पाना मुश्किल था कि उसके जीवन में इतनी बड़ी आँधी आई होगी, जिसके बावजूद उसके चेहरे की हँसी बरक़रार थी, ये बात अलग है कि मन का सूनापन और ज़िन्दगी की थकावट देर सबेर हँसी के छद्म आवरण को चीर कर बाहर निकल आती थी, लेकिन प्रमिला बड़े ही सधे हुए तरीके से वापस उस हँसी को अपने चेहरे पर स्थापित कर लेती थी।
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