रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'

जीवन परिचय

रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' का जन्म फतेहपुर जिले के किशनपुर ग्राम में हुआ। जबलपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में वर्षों तक अध्यापन किया तथा विभागाध्यक्ष रहे। ये छायावाद युग के उत्तरार्ध के कवि हैं। बाद में इन्होंने मार्क्सवादी तथा प्रगतिशील कविताएं भी लिखीं। इनकी भाषा में नए विशेषण और नए उपमान प्रयुक्त हुए हैं। मुख्य कविता-संग्रह हैं : 'मधुलिका, 'अपराजिता', 'किरण बेला', 'वर्षांत के बादल' और 'विराम चिन्ह'। इन्होंने उपन्यास, निबंध तथा हिन्दी साहित्य का अनुशीलन आदि ग्रंथ भी लिखे।

लेखन शैली

ये छायावाद युग के उत्तरार्ध के कवि हैं। बाद में इन्होंने मार्क्सवादी तथा प्रगतिशील कविताएं भी लिखीं। इनकी भाषा में नए विशेषण और नए उपमान प्रयुक्त हुए हैं। मुख्य कविता-संग्रह हैं : 'मधुलिका', 'अपराजिता', 'किरण बेला', 'वर्षांत' के बादल और 'विराम चिन्ह'। इन्होंने उपन्यास, निबंध तथा हिन्दी साहित्य का अनुशीलन आदि ग्रंथ भी लिखे।

प्रमुख कृतियाँ
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  परिचय

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