आने से उसके आये बहार आनंद बख़्शी
आने से उसके आये बहार
आनंद बख़्शी | शृंगार रस | आधुनिक कालआने से उसके आये बहार, जाने से उसके जाये बहार
बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है मेरी महबूबा...
गुनगुनाए ऐसे जैसे बजते हों घुंघरू कहीं पे
आके पर्वतों से, जैसे गिरता हो झरना ज़मीं पे
झरनो की मौज है वो, मौजों की रवानी है मेरी महबूबा
इस घटा को मैं तो उसकी आँखों का काजल कहूँगा
इस हवा को मैं तो उसका लहराता आँचल कहूँगा
हूरों की मलिका है परियों की रानी है मेरी महबूबा
बीत जाते हैं दिन, कट जाती है आँखों में रातें
हम ना जाने क्या क्या करते रहते हैं आपस में बातें
मैं थोड़ा दीवाना, थोड़ी सी दीवानी है मेरी महबूबा
बन संवर के निकले आए सावन का जब जब महीना
हर कोई ये समझे होगी वो कोई चंचल हसीना
पूछो तो कौन है वो, रुत ये सुहानी है, मेरी महबूबा
अपने विचार साझा करें
परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
Frquently Used Links
Facebook Page
Contact Us
Registered Office
47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.
Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com