मेरा सजल मुख देख लेते महादेवी वर्मा

मेरा सजल मुख देख लेते

महादेवी वर्मा | शृंगार रस | आधुनिक काल

मेरा सजल मुख देख लेते!
यह करुण मुख देख लेता!

सेतु शूलों का बना बाँधा विरह-वारीश का जल
फूल की पलकें बनाकर प्यालियाँ बाँटा हलाहल!

दुखमय सुख
सुख भरा दुःख
कौन लेता पूछ, जो तुम,
ज्वाल-जल का देश देते!

नयन की नीलम-तुला पर मोतियों से प्यार तोला,
कर रहा व्यापार कब से मृत्यु से यह प्राण भोला!

भ्रान्तिमय कण
श्रान्तिमय क्षण-
थे मुझे वरदान, जो तुम
माँग ममता शेष लेते!

पद चले, जीवन चला, पलकें चली, स्पन्दन रही चल
किन्तु चलता जा रहा मेरा क्षितिज भी दूर धूमिल ।

अंग अलसित
प्राण विजड़ित
मानती जय, जो तुम्हीं
हँस हार आज अनेक देते!

घुल गई इन आँसुओं में देव, जाने कौन हाला,
झूमता है विश्व पी-पी घूमती नक्षत्र-माला;

साध है तुम
बन सघन तुम
सुरँग अवगुण्ठन उठा,
गिन आँसुओं की रख लेते!

शिथिल चरणों के थकित इन नूपुरों की करुण रुनझून
विरह की इतिहास कहती, जो कभी पाते सुभग सुन;

चपल पद धर
आ अचल उर!
वार देते मुक्ति, खो
निर्वारण का सन्देश देते!

अपने विचार साझा करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com