गन्ने मेरे भाई! बालकवि बैरागी
गन्ने मेरे भाई!
बालकवि बैरागी | करुण रस | आधुनिक कालइक्ष्वाकु वंश के आदि पुरुष
गन्ने! मेरे भाई!!
रेशे-रेशे में रस
और रग-रग में
मिठास का जस
रखोगे
तो प्यारे भाई गन्ने!
इक्ष्वाकु वंश के आदर्श!!
तुम्हारा वही हश्र होगा
जो होता आया है--
पोरी-पोरी काटेंगे लोग तुम्हें
चूस- चूसकर खाएँगे
चरखियों में पेलेंगे
आख़िरी बूँद तक
निचोड़ेंगे
किसी भी क़ीमत पर
तुम्हें ज़िन्दा नहीं छोड़ेंगे
तुम्हारे वल्कल जैसे
छिलकों तक को सुखाएँगे
तुम्हारे ही रस से
गुड़ या शक्कर बनाने वाली
भट्ठी में ईंधन बनाकर
जलाएँगे।
तुम्हें कर देंगे राख
न तुम कुछ कर सकोगे
न कह सकोगे
अपनी ही मिठास की
आबरु के लिए
तुम ज़िन्दा नहीं रह सकोगे।
अपने जन्म से मृत्यु तक तुम्हें
यही सब
करना होगा
ये गुड़ और शक्कर
तुम्हारे बेटे-बेटी
अस्मिता तुम्हारी मिठास
जीवित रहे
इसलिए रग-रग, रेशा-रेशा
रंध्र-रंध्र
तुम्हें मरना होगा।
कोई नहीं मनाएगा
तुम्हारा जन्मदिन
या तो अपना
या अपने बाल-बच्चों
दोस्त-यारों,
नातेदारों, ख़ातेदारों
का मनाएगा
और एक-दूसरे का मुँह
मीठा करने-कराने की रस्म में
तुम्हारे बाल-बच्चों तक
को खाएगा।
रस और जस के साथ
जीना बहुत मुश्किल है
गन्ने! मेरे भाई!!
तुम्हारे रस पर
मैं निछावर
और तुम्हारे अनंत
उत्सर्ग भरे जस पर
हार्दिक बधाई!
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परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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