ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में भूषण

ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में

भूषण | वीर रस | रीतिकाल

ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में, 
जा दिन सिवाजी गाजी नेक करखत हैं.
सुनत नगारन अगार तजि अरिन की,
दागरन भाजत न बार परखत हैं.
छूटे बार बार छूटे बारन ते लाल ,
देखि भूषण सुकवि बरनत हरखत हैं .
क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुण्डन में,
करे घन उमरि अंगारे बरखत हैं .

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