ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में भूषण
ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में
भूषण | वीर रस | रीतिकालता दिन अखिल खलभलै खल खलक में,
जा दिन सिवाजी गाजी नेक करखत हैं.
सुनत नगारन अगार तजि अरिन की,
दागरन भाजत न बार परखत हैं.
छूटे बार बार छूटे बारन ते लाल ,
देखि भूषण सुकवि बरनत हरखत हैं .
क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुण्डन में,
करे घन उमरि अंगारे बरखत हैं .
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परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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