श्रीधर पाठक

जीवन परिचय

श्रीधर पाठक का जन्म आगरा जिले के जौंधरी ग्राम में हुआ । शिक्षा संस्कृत और फारसी में हुई । कलकत्ता में सरकारी सेवा करने के पश्चात ये प्रयाग में आकर रहने लगे। इन्होंने ब्रजभाषा तथा खडी बोली दोनों में कविता लिखी। इनकी मुख्य रचनाएं हैं- 'जगत सचाई-सार, 'मनोविनोद', 'काश्मीर सुषमा', 'गोपिका-गीत' एवं 'भारत-गीत' । खडी बोली में काव्य रचना कर इन्होंने गद्य और पद्य की भाषाओं में एकता स्थापित करने का ऐतिहासिक कार्य किया । इन्होंने अंग्रेजी तथा संस्कृत की पुस्तकों के पद्यानुवाद भी किए।

लेखन शैली

ये प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाज सुधार की भावनाओं के कवि हैं । इन्होंने ब्रजभाषा तथा खडी बोली दोनों में कविता लिखी ।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

स्वराज-स्वागत

अद्भुत रस
2

सुंदर भारत

अद्भुत रस
3

हिंद-महिमा

वीर रस
4

निज स्वदेश ही

वीर रस
5

स्वदेश-विज्ञान

वीर रस
6

बलि-बलि जाऊँ 

वीर रस
7

देश-गीत

वीर रस
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