तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

मैं एक छोटी सी मुलाक़ात का वर्णन कर रही हूँ.मेरी स्कूल की विज्ञानं की शिक्षिका ,जो मुझे और मेरे भाई को पहले पढ़ाया करती थीं ,स्वभाव से सरल और मिलनसार .वो हमें इतनी सरलता से भारी भड़कम विज्ञान के शब्दों को समझा दिया करती के सारे सवाल के हल यूँ निकल जाते.हमें आज भी याद है की कैसे जब बच्चे क्लास में शोर करते थें तो वो बड़ी सहजतापूर्वक हम सब को संभाल लेतीं थीं बिना डांट फटकार सुने भी हम उनका सम्मान करते थेंफिर कुछ १-२ साल अपने विवाह के बाद किसी वजह से उन्होंने स्कूल छोड़ दिया. .
इतने सालों में मैं अपनी शिक्षा पूर्ण करने ग्रेजुएशन करने लगी..गर्मी की छुट्टियों में हाल ही उनसे मुलाक़ात हुई ..
इतने दिनों बाद उनसे स्कूल के बारे में पूछने लगी.न जाने क्यों उनकी आँखों में एक चमक सी आ जाती थी बीतें दिनों को याद करके..
पर न जाने क्यों उनकी बातों में मायूसी की लहर थी.." और क्या क्या करती हैं घर पे ,लिखने पढ़ने का शौक रखती ही होंगी ?

"अब कहाँ मेरी तो अब उम्र हो गयी है "

.मैं तो आश्चर्य चकित रह गयी , की एक बुद्धिमान और योग्य नारी ऐसा भी बोल सकती हैं .. कुछ लोग तो बुढ़ापे में भी जीने की तमन्ना रखते हैं ,कुछ आविष्कारशील करने की सोचते हैं ,आखिर ऐसा क्या हो गया है हमारे भारतीय परिवारों में ,जहाँ औरतें जीने से थक गयी हैं? वो औरत जो बड़े से बड़े तूफ़ान का भी सामना हस के कर लेती हैं,वो जो सरहद पे देश की सुरक्षा में जुड़ी हैं,वो जो लाख परेशानियों के बावजूद हर परीक्षा में उत्तीर्ण होती हैं ,वो महत्वाकांक्षा कहाँ गयी?
कब तक अपने महत्वाकांक्षाओ की पूर्ति के लिए हम पे केवल व्यंग बाणों की वर्षा की जाएंगी? हमें तथाकथित "सामान्य" जीवन जीने केलिए प्रेरित जाएगा जिसमें हमें किसी और के अहसान तले अपना जीवन बसर करना पड़ जाए?

दुर्भाग्यपूर्ण ये प्रश्न का उत्तर शायद हमें न ही मिले ..प्रतीक्षा करने से शायद हम अपने जीवनकाल के अति मूल्य समय को गवाँ देंगे ,जो की भगवान् के इस जीवन रुपी तोहफे का अपमान होगा...अपने जीवन की नाव को अगर तुफानो की और उतार दें इस विश्वास के साथ की आपका मकसद सच्चा और नियत अच्छी है,आपकी नाव किसी भी लहर का सामना कर लेगी क्योंकि उसकी पतवार आपके दृढ़ निश्चय,धैर्य और उत्साह से निर्मित है ..

यहाँ मैंने अपने शिक्षिका के जीवन का उदाहरण देते हुए ये कहा है की चाहे जो भी परिस्थिति हो ,इंसान अपने जीवन का रुख खुद ही निर्णीत करता है,और वो उसके जीवन में परिवर्तन लेके आता है,अच्छा या बुरा.

सवाल ये है की क्या हमें इन व्यंग बाणों से बचने केलिए अपनी नाव को तुफानो से बचाये रखना चाहिए?क्या ऐसा करने से हम सुरक्षित रहेंगे?नहीं, ये सबसे बड़ी भूल है है हमारी.तूफ़ान कभी बता के नही आएगा,और ये एक स्थापित सत्य है जैसे समुन्दर की लहरें कभी एक जैसी नहीं रहती,वैसे ही सुख और दुःख दोनों ही जीवन काल के अंश हैं..वक़्त कभी एक जैसा नही ठहरता,ऐसे में जो कुशल नाविक होगा वो अपनी नाव को और बेहतर संभालेगा.

क्या वो वक़्त आ गया है जब हमें तूफानों के रुख के विरुद्ध अकेले ही चलना सीखना होगा?

शायद गलती हमारी है कहीं जो हम आवाज़ उठाना भूल गए हैं,सालों से चल रही प्रथाओं को यूँ ही बिना किसी आधार के मानते जा रहे हैं..अपने जीवन रुपी नाव को वहाँ ले जा रहे मानो उसकी पतवार आपसे किसी ने छीन ली हो.
"मैं मजबूर थी ",अक्सर यही बहाने होते हैं , और हम अपनी जीवन रुपी नाव को तूफानों से बचने केलिए किसी और मोड़ देने तक तैयार हो जाते हैं ताकी हम औरों की आलोचना से बच पाएं , पर उन तुफानो का क्या जो हमारे ह्रदय में गांठ लगाए बैठे है,जो हमें जीवन भर अफ़सोस दिलाता रहेगा की हमने अपनी नाव का रुख अपने हिसाब से न बदला.लोगों के तानो से बचने केलिए कभी अपनी नाव को एक मोड़ दिया ही नही .. अगर मोड़ लेते तूफानों की और तो या सफलता प्राप्त होती या नाकामयाबी पर किसी बात का खेद तो नही होता क्योंकि हर असफलता हर चोट नावुक को और कुशल बनाएगी,अथार्थ जीवन और सरल हो जाएगा...

अगर हम कठिनाइयों का सामना करना सिख जाएंगे तो बस फिर और क्या ..जीवन का मूल रहस्य ही सुलझा लेंगे ,फिर हमें किसी का डर क्या..जब हमें लहरों से लड़ना आ जायगा तब ही तो हम अपनी नाव को हर अवस्था में संभाले रख पाएंगे और इस उपहार रूपी जीवन को सही रूप से बसर कर पाएंगे ,अपनी इच्छा अनुसार इसे कहीं भी मोड़ दे पाएंगे, ये विश्वास के साथ चाहे जैसी भी हो नहर हम इस तूफ़ान को पार कर ही मानेंगे..


तुफानो की और घुमा दो,नाविक निज पतवार,
न रोक पायेगी तुझे लहरों या चट्टानों की मार.
बोलेंगे लोग तुझे पागल क्यों लेता है लहरों का वार,
जब है भरोसा जो खुद पे,और अपने हाथों में पतवार
है मज़ाल जो लहरें न झुक पाएं मेरे यार.
जो गिरे हैं वो उठे भी हैं जो न गिरे वो हारे भी,
करलेगा सामना हर चुनौती का,पोहुंचेगा अपनी मंज़िल,
जो तू है अपनी नाव पे सवार,
हो गई अगर मुश्किल थोड़ी जो राह तेरी,
रख भरोसा खुद पे ,आगे बढ़े चल यार.

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