लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है

लाख कोशिश कर ले पतझर – उपवन कभी मर नहीं सकता

किसी न बहुत सटीक कहा है “जब बचाने वाला कोई एक (ईश्वर हो या कोई और) तो मारने वाले चाहे हजार क्यों न हो – कोई फर्क नहीं पड़ता” | उसका बल भी बांका नहीं हो सकता है | जीवन में इस बात का बहुत महत्व है की हम क्या सही करते और क्या गलत | इसी से हमारे जीवन चक्र के घटनाक्रम निश्चित होते है | हमारा जीवन एक निश्चित परिधि – साइकिल (चक्र) के रूप में गुजरता है - जैसे जन्म, बचपन, यौवन, प्रौढ़ एवं वृधावस्था और अन्तंत मृत्यु और फिर जन्म |

जीवन ईश्वर की दी हुई एक अमूल्य धरोहर है जिससे अच्छे से सहेजना और समझना आवश्यक ही नहीं बल्कि हमारा कर्तव्य है क्योंकि जब तक हम जीवन को समझेंगे नहीं उसे सवारेंगे नहीं अब तक जीवन को सही रूप में जी नहीं पाएंगे इसका अर्थ यह है कि जीवन को अच्छे से जीने के लिए उसके तमाम घटनाक्रम और घटना चक्र को अच्छे से समझना परखना होगा | जीव के इन घटना चक्रों पर व्यक्तिगत रूप से कार्य करना होगा करना होगा । हमारा जीवन जो एक निश्चित साइकिल अर्थात चक्र के रूप में चलता है और जीवन के चक्रों में जो जन्म से लेकर मृत्यु तक आते हैं चाहे वह बचपन हो योवन हो प्रौढ़ावस्था हो या वृद्धावस्था इन सभी चक्रों में जीवन को भली-भांति व्यतीत करना, जीवन में सदा आनंदित रहना और दूसरो को भी हमेशा अच्छे से समझना और उन्हें भी आनंद और मुस्कराहट प्रदान करना ही मनुष्य के अच्छे कर्मों का परिणाम है और यही हमारे जीव का मूल उद्धेश्य होना चाहिए । इन चक्रों में पतझड़ भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है ।पतझड़ का अर्थ है की जीवन की निरंतरता को आगे बढ़ाते रहना, कुछ पीछे छूट जाए तो उसको नवीन रूप देकर आगे बढ़ाना यही पतझड़ का सही अर्थ है । नवीन जीवन का सृजन करना अर्थात एक जीवन से दूसरे नए जीवन का उद्गम जैसे प्रकृति में स्थित सुंदर पेड़ पौधों पर जब सूखे का साया आता है तो उनके पत्ते झड़ने लग जाते हैं और परन्तु जवान की यह जीवन्तता है की बसंत आते ही वह पत्ते फिर से हरे हो जाते हैं यही नवीनता का सृजन है । पतझड़ के बाद नवीनता का सृजन अर्थात जीवन की गाड़ी का एक घटनाक्रम से दुसरे घटना क्रम में प्रवेश हमेशा जीवन चक्र से आगे बढाता है, जन्म के बाद अगर बचपन नहीं आएगा या यौवन के बाद नहीं प्रौढ़ावस्था नहीं आएगी तो जीवन आगे कैसे बढ़ेगा यही जीवन की अद्भुत कला है ।

मेरा मानना है की अगर हमें नवीन भविष्य को उद्गम देना है तो पतझड़ का आना आवश्यक हो जाता है । जैसे इसी पतझड़ से पुरानी एवं खराब पत्तिया झड़ जाती है और पेड़ पर नई कौंपले खिलती है। यही पतझड़ के बाद का सृजन है जो नवीन जीवन को आरंभ देता है । हमारा जीवन अनेको सामाजिक रीती-रिवाजो और परिस्थियों से बंधा हुआ है | इन परिस्थितियों में जन्म और मृत्यु का एक अमिट स्थान है |जैसा की पौराणिक कल से हमारा मानना है की जन्म और मृत्यु तो आती जाती रहती है परन्तु हमारे शरीर में जो आत्मा का वास होता है, वही जीवन की अजरता है अमरता है क्योंति आत्मा सदा मर रहती ही है वो मृत्यु से परे है | इस सन्दर्भ में वस्तुत यही कहा जा सकता है की पतझड़ रूपी शरीर चाहे लाख कोशिश करे पर आत्मा रूपी यह उपवन कभी मर नहीं सकता है कभी खत्म नहीं हो सकता जीवन का नव सृजन इसे के चलता रहेगा | यह सुंदर और सौन्दर्य से परिपूर्ण यह प्रकृति सजीव बनी रहेगी|

यह सत्य है की पतझड़ रूपी इस भूचाल से अच्छे से अच्छा पेड़ धराशाई हो जाता है, न केवल उसकी उसकी सुंदरता खत्म हो है बल्कि संपूर्ण प्रकृति और पर्यावरण पर पतझड़ का गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है । इस सृष्टि की सत्यता यह है की पतझड़ लाख कोशिश कर ले, कितने ही जतन करले पर उपवन को कभी मिटा नहीं सकता, मार नहीं सकता क्योंकि उपवन में नवसृजन की वह अद्भुत शक्ति होती है जो अपनी पूरी ताकत से वह हर तूफान का हर भूचाल का बड़ी मजबूती से सामना करता है और अपने को मिटने नहीं देता, खत्म नहीं होने देता यही उपवन की शक्ति है । पतझड़ हमेशा कोशिश करता है कि उपवन रूपी जीवन को मिटा दिया जाए उसे खत्म किया जाए परंतु उपवन हमेशा अपने आप को पतझड़ से सुरक्षित कर लेता है, बचाता ही लेता है।

यह सृष्टि गवाह है की इस प्रकृति पर अब तक हजारों भूचाल आए, हजारों तूफान आए हजारों ज्वालामुखी आई पर यह सृष्टि यह ब्रह्मांड हमेशा मानव जाति के कल्याण के लिए जीवित रहे है और आगे भी जीवित रहेंगे। मनुष्य जीवन भी एक ऐसा ही क्रम है जहां पर मनुष्य मनुष्य पर आघात जमाए बैठा रहता है परंतु ऊपर वाला ईश्वर जब बचाता है तब किसी भी तरह का पतझड़ या संकट उसको मिटा नहीं सकता।

किसी ने सच ही कहा है की जब बचाने वाला एक भले एक ही क्यौ न हो, और मारने वाले चाहे हजार क्यों ना हो, कोई भी उसका बाल तक बांका नहीं कर सकता । मेरा इस बात में दृढ़ विश्वास है की ‌= “एक सशक्त दुआ हजार बद-दुआओं के प्रभाव को कम कर देती है । अर्थात व्यक्ति चाहे कितनी भी विकट परिस्थितयो में जी रहा हो, या हो सकता है वह निरंतर कई गलतिया कर रहा हो जो दुसरो के लिए परेशानी का सबब बन रही हो फिर भी उसका कुछ बिगड़ता नहीं है ऐसा क्यों ? क्योंकि उस पर किसी न किसी का आशीर्वाद, प्यार और स्नेह जरुर है या उसको किसी की सशक्त दुआएं मिल रही हो और उन दुओं के प्रभाव से उसका कुछ बिगड़ता नहीं है | यही बात उपवन या उस मनुष्य पर लागु होती है की जब तक उपवन में जीवन्तता बनी रहती है, उसकी जड़ो में चाहे कम ही क्यों न हो अगर नमी मिलती रहेगी तो पतझड़ उकसे पत्ते तो गिरा सकता है पर उस पेड़ को मिटा नहीं सकता है, ख़त्म नहीं कर सकता है | हवा और पानी मिलते ही वह पुन: हरा भरा हो जायेगा, निखर जायेगा, संवर जायेगा और लोगो के लिए कल्याणकारी और उपयोगी सिद्ध होगा इसमें कोई दो राय नहीं है |

अंतत यही कहना चाहूँगा की आपके विरोधी, आप से दुर्भाव रखने वाले लोग चाहे कितना भी प्रयास कर ले यदि आपके कयास अच्छे, परोपकारी एवं दुसरो के भले के लिए हों तो आपका हमेशा अच्छा होगा भला होगा | इस प्रकृति और जीवन के पर्याप्त और समुचित घटना चक्र के लिए उपवन और पतझड़ का एक दुसरे के लिए प्रतिपूरक होना भी नितांत आवश्यक है जिससे यह प्रकृति और मानव जीवन सुचारू रूप से निरंतर चलते रहेंगे | अत: पतझड़ चाहे लाख कोशिश करले पर उपवन कभी मर नहीं सकता है |

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