एक छात्र का पत्र
हे गुरू मै जानता हू औ मानता हू
कि न तो हर व्यक्ति सही होता है
और न ही होता है सच्चा,
किन्तु मुछे आपको सिखाना होगा
कौन वुरा है और कौन अच्छा |
दुष्ट व्यक्तियो के साथ-साथ
आदर्श प्रणेता भी होते है |
हर विरूपता के साथ
सुन्दर चित्र भी होते है |
हो सके तो सिखावो हमे,
हम अपने वुध्दिवल के मोल को जाने,
परन्तु अपने आप को कभी ना तोले,
सदा ही शुचित रास्ते को हो ले |
समय भले लग जाए,
पर सिखा सके तो हमे सिखावो,
पाई हुई हार को कैसे छेले,
और जित को कैसे पिरो ले |
हो सके तो हमे ईष्या से परे हटावो,
जिवन मे मुस्कान का पाढ पढावो,
मन के अन्दर वशे भय को निकालो,
ईश जिवन को सकार और स्वभीमान वनावो |