ज़िन्दगी
ये मजबूरी है मजदूरी
जो थी हसरत न हुई पूरी,
रोज़ का ये झंझट
दौलत है तो जन्नत ज़िन्दगी,
करो कुछ ऐसा दिन के उज्जाले में
कि टिमटिमाये रात के अँधेरे में ,
सपनो को जीना
अपनों को खोना ज़िन्दगी
गिरने से डर कर
ठेहर गया घर पर ,
फिर मेने जाना
ठैरने से अच्छा गिर जाना