माँ! याद आती है
माँ! अब मैं बड़ा हो गया हूँ,
तुझ से सब छुपा लेता हूँ,
अब आँसू आँखों में नहीं आते
मन ही मन रो लेता हूँ।
कि तू इस कदर दूर है मुझसे
मिलने को तरसता हूँ तुझसे
माँ! याद आती है तेरी
उस चूल्हे की रोटी
माँ! याद आती है तेरे
उस आँचल की छाँव
माँ! याद आती है तेरी
वो लोरी, तेरा वो गीत
माँ! याद आता है तेरे
साथ यूँ मंदिर चलना
माँ! याद आती है तेरी
जब कभी चोट लगती है
माँ! याद आता है तेरा
काल टीका यूँ मुझको लगाना
माँ! याद आता है तेरा
परीक्षा से पहले दही शक्कर खिलाना
माँ! याद आता है तेरा
यूँ मुझको डाँटना डराना
माँ! याद आता है तेरा
यूँ मुझको गले से लगाना
माँ! याद आता है तेरा
वो रूप, वो श्रृंगार !
क्या सीरत है, क्या सूरत है
माँ तू ममता की मूरत है
माँ कहता नहीं, पर मेरा
हर दिन, हर पल
तुझ से ही शुरू है
तुझ ही पर ख़त्म है।