शबरी
पाठशाला के मैदान मे बेर बेचती अनजानी बुढिया ;
मिठास ऊन बेरोंकी लगती मेवा मिठाईसे बढिया
खरीददार मिलते कम ... मुक्त चखनेवाने ज्यादा ;
बुढीया बेर बेचकर कमाती मुनाफा आधा .
कोई कह गया परदेसमे है उसका बेटा एक ;
हर महिने भेजता है दस हजारका चेक .
मास्टर जी ने पुछ लिया दिल मे कुछ सोचकर ;
बेर क्यो बेचती हो तुम दौलतमंद होकर' .
हताश हसकर बोली "क्या बतलाऊ बेटा मै तुझको ?
प्यारा सा नन्हा सा नवासा भी है परदेसमे मुझको .
लेकिन आजतक मैने उसे देखा भी नही ,
मेरे आंगण का बेर उसने चखा भी नही .
इसलीये मै इन बच्चो को बेर बेचती हूं ,
अनदेखे नवासे को इन बच्चो मेही देखती हूं .
ऊसकी ममता का चेक कब कॅश होगा दोस्तो ?
बेरीयो का मौसम गुजरा, नवसा कब आयेगा दोस्तो .