एक जलन कुछ ऐसी भी
मैं जलता हूं, मैं जलता हूं, मैं जलता हूं,
उस आग से मैं जलता हूं,
जो भड़क रही है सीने में,
घटिया नेताओं और इस नगीने में,
हॉ उस की आग से मैं जलता हूं,
मैं जलता हूं, मैं जलता हूं, मैं जलता हूं ||
हम जलाते हैं उस सीने को,
जो देता खाने पीने को,
कैसे भुला सकते हैं उसको,
कहते अन्नदाता जिसको,
हॉ उस सीने की आग से भी मैं जलता हूं,
मैं जलता हूं ,मैं जलता हूं ,मैं जलता हूं ||
जब सो रुपए किलो प्याज है बिकता,
ले लोटा थाली नेता,
सड़कों पर अपना सर पीटता,
आज एक 1 रुपए किलो टमाटर है बिकता,
तब कोई नेता,
ले थाली लोटा,
सड़कों पर नहीं दिखता,
हॉ उस आग की दोहरी लपटों से मैं जलता हूं,
मैं जलता हूं, मैं जलता हूं ,मैं जलता हूं ||
देश का किसान सैनिक से महान् होता है,
तो फिर क्यों आज वो कोने में जाकर रोता है,
किसान के गल्ले का दाम निश्चित हो,
युवा भी कृषि में उतरे कुछ ऐसा व्यवस्थित हो ||
यदि सभी बन जाएंगे इंजीनियर ,डॉक्टर ,अधिकारी,
एक दिन हम भूखे मर जाएंगे,
बिन बीमारी,
इंजीनियर डॉक्टर की सब हैं सोचते,
नहीं सोचते खेती के बारे में,
हां मैं जलता हूं व्यवस्था के उसी गलियारे में,
मैं जलता हूं ,जलता हूं ,मैं जलता हूं ||