नंहा बचपन
नंहा नंहा बचपन प्यारा,
यही तो है समय सुहाना।
माँ के हाथों से है खाना,
खेलना कुदना प्यार जताना।
कभी रुठना कभी मनाना,
फिर माँ को और सताना।
पानी में जा के छप छप करना,
कागज कि वो नावँ चलाना।
यारो के संग मस्ति करना,
दिन भर खुब धुम मचाना।
शाम होने पर गोद में आना,
आँख मुन कर सो जाना।
बचपन में है माँ का प्यार,
ना कोई झगड़ा ना टकरार।
मेरा बचपन है बड़ा सुहाना,
रह जाता हूँ मैं, यही रह जाना।