आँचल में छुपा ले माँ
अकेला हो गया हूँ मैं यहाँ,
अपने आँचल में छुपा ले माँ।
नींद नहीं आती है मुझे,
अपनी गोद में सुला ले माँ।
इस निष्ठुर संसार से,
बहुत डर लगता है मुझे माँ।
परेशान न हो तू इसलिए,
कुछ बताता नहीं तुझे माँ।
मैं आँख जब भी बंद करूँ,
तेरी ही छवि दिखाई देती है माँ।
संसार के कोलाहल में मुझे,
सिर्फ तेरी आवाज़ सुनाई देती है माँ।
चाहे जितना स्वादिष्ट खाना हो,
मुझे भाता नहीं है माँ।
क्योंकि यहाँ खाने में छुपा तेरा प्यार,
मिल पाता नहीं है माँ।
जब से घर छोड़ा है मैंने,
किसी से प्यार पाया नहीं है माँ।
मेरे इस तपते जीवन में,
तेरी ठंडी छाया नहीं है माँ।
अब जब तुझसे दूर हूँ,
तेरी अहमियत समझ आती है माँ।
तेरी याद में हर रोज़,
मेरी आंखें नम हो जाती है माँ।