बेटियाँ

ईश्वर ने  भेजा पृथ्वी पर आसमां से दो अनमोल रतन,
एक था बेटा दूजी थी बेटी जीनका सब करते थे जतन,
इस स्रव समाज कि संरचना जिस बिन अधुरी रह जाती हैं,
हिम्मत की देवी आऋयदायनी वही बेटी कहलाती हैं।
 

ये रुप तो है लक्ष्मी का बस खुशहाली ही लाएगी,
बन कर लक्ष्मी यह समाज में बरकत लाना चाहेगी,
इस धरती पर जिसकी रचना सृजन मानी जाती हैं,
हिम्मत की देवी आऋयदायनी वहीं बेटी कहलाती हैं।
 

बेटो की तरह काबिल हैं ये भी इनका तुम सम्मान करो,
औरों को जीवन देने वाली इनपर तुम अभिमान करो,
तुफानो से पार जो पतवार को अपने लगाती हैं,
हिम्मत की देवी आऋयदायनी वही बेटी कहलाती हैं।
 

कभी मां तो, कभी बेटी , तो कभी बहु बनकर आती हैं,
दुष्टो का संहार करने ये तो दुर्गा रूप धर उपजाती हैं,
दूसरो को जन्म देकर जो भगवान जैसी पूजी जाती हैं,
हिम्मत कि देवी आऋयदायनी वहीं बेटी कहलाती हैं।
 

मैं पुरुष होकर भी यह लिखने में बडा गवृ महसूस करता हूँ,
मैं सभी इन हिम्मत की देवीयों को आज नमन फिर करता हूँ,
जो हमारे लिए अपना बलिदान करने से भी नहीं कतराती हैं,
हिम्मत की देवी आऋयदायनी वहीं बेटी कहलाती हैं।

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