कल्पना भारत के वीर जवानों की

न चाहूँ मान दुनिया में
न चाहूँ स्वर्ग को जाना
यही वर दो मुझे दाता
रहूँ भारत का दीवाना ||
 

जोर – जुल्म की टक्कर में
इंसाफ हमारा नारा है
इस देश के लिए हमें है जीना
देश को आगे बढ़ाना है ||
 

यही मान है हमारा,
यही काम है हमारा
भारत की इस भूमि में
हमें देश हित है जीना ||
 

इस देश की धरती को सींचा हमने
अपने खून –पसीने से
हार गई दुश्मन की गोली
वज्र हमारे सीनों से ||
 

देश का बचपन माग रहा हूँ
चाहता हूँ देश की धरती
तुझे कुछ और भी दूँ
खुद तो मरना है इस मिट्टी में
हमें दुश्मन को मार गिराना है ||
 

यही राय है हमारी,
यही ध्येय है हमारा
हम लड़ते है उस मातृभुमि में
जो बनी खून पसीने से ||
 

भारत के नये इतिहास- गगन में अमर रहे हम वेर्रो के नाम
यही हम चाहते है “जय जवान – जय किसान “
हे दाता हमें बस यह वरदान चाहिए
जीवन में सम्मान चाहिए ||
 

जिसने मरना सीख लिया है
जीने का अधिकार उसी को
जो काँटो के पथ पर आया
फूलों का उपहार उसी को ||
इसीलिए _
न चाहूँ मान दुनिया में
न चाहूँ स्वर्ग को जाना
|| जय हिन्द , जय भारत ||

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