पोशाक का मान
हर इंसान की तीन ज़रूरत,
रोटी कपड़ा और मकान।
पर कपड़ा करता सरे जग में,
पशु-इंसान का फर्क आसान।।
कपड़े से बनती पोशाक,
जो रखे इंसान की साख।
पोशाक है कैसी किसने पहनी,
उस पर होती सबकी आँख।।
सफेद कोट तो डॉक्टर पहने,
काला कोट वकील की शान।
थानेदार तो पहनी खाकी,
जिसपर टिकती उसकी आन।।
सुन्दर कपड़े राजा पहने,
फटा जो पहने गरीब इंसान।
सफ़ेद जो पहने वह साधु है,
काला जो पहने गलत इंसान।।
पोशाक तेरी सदा ही जय हो,
तू ही बढ़ाये आदमी का मान।
मन के अंदर क्या है?किसने देखा?
तुझसे मानो आसली पहचान।।