एक अलग कहानी

मैं आज आपको एक ऐसे इंसान की कहानी सुनाता हूं तो शायद इस दुनिया के लिए बहुत ज्यादा अजीब हो लेकिन खुद के लिए उतना ही मजेदार । इसको दुनिया राहुल के नाम से जानती है । लेकिन हर खुश दिखने वाले इंसान के पीछे कोई ना कोई कहानी अवश्य होती है इसकी जीवन में एक ऐसी घटना घटित हुई । यह वह घटना है जिसने इस के जीवन को एक नया मोड़ दिया उसे महसूस होने लगा जैसे उसे किसी चीज की आदत सी हो गई है और इसी आदत ने उसे लगभग 1 वर्ष तक उसे चैन की नींद सोने नहीं दिया । जो पहले हंसता खेलता रहता था एकदम से उदासीन हो गया जैसे एक बच्चा एकदम से बड़ा हो गया हो । इसके चलते उसने अपना बचपन खो दिया और जब कॉलेज गया तो बच्चों जैसी हरकतें करने लगा क्योंकि बचपन तो जीना था जो सही वक्त पर नहीं जी पाया ।

जब राहुल को रात को नींद नहीं आती तो उसने सोचा की क्यों ना नींद पर नियंत्रण पाएं और उसके इस काम में साथ दिया उसकी किताबो ने। अब वह रातों को अध्ययन करने लगा जब तक की नींद नहीं आ जाती । राहुल के सभी दोस्तों को वह घटना ले गई थी तो अब धीरे - धीरे उसकी रुचि खेलों से कम होने लगी । साथ ही जब मैं क्रिकेट में लड़ाई होते देखता उसे क्रिकेट से नफरत सी हो गई । उसने ठान लिया कि वह अपनी एक नई और अलग पहचान कायम रहेगा । जो भी गलत काम है उनमें से कुछ नहीं करेगा । इस तरह राहुल ने गाली गलोज निकालना छोड़ दिया साथ ही वह लड़ाई झगड़ों से भी दूर रहने लगा माता पिता के प्रोत्साहन व गुरुजनों की आशाओं के साथ वह अध्ययन में रुचि लेने लगा । जैसे ही वह दसवीं कक्षा में आया उसने अपना नाम मेरिट लिस्ट में छपवाने का सपना देखा परन्तु वास्तव में यह उसका नहीं दूसरों का सपना था और उसने काम करना शुरू कर दिया। नींद को आंखों में पालना शुरू कर दिया । परंतु उसका यह  सपना पूरा नहीं हो सका। जिससे उसका थोड़ा अंदर से टूट ना स्वभाविक था परंतु उसने अपने भाई के दूसरे सपने पर काम करना शुरू किया ।

राहुल अपने इंजीनियर की करियर की शुरुआत करने के लिए कोचिंग संस्थानों में गया परंतु वहां पर भी इसका जुनून तो कम नहीं हुआ परंतु नींद आने लगी। अब राहुल के दिल में नयीं ख्वाहिशें जन्म लेने लगी क्योंकि वह अपनी पिछले 6 सालों से भगवान की पूजा कर रहा था तो उसे लगा कि भगवान उसे ऐसी शक्तियां प्रदान करें ताकि जब वह अपने दाएं पैर के अंगूठे पर बाएं हाथ का अंगूठा रखे तो एक स्क्रीन आए जिस पर वह जो भी लिखे उसके पास भूमिगत हो । ऐसी ही घटना घटी जब है कहीं जा रहा था तब मार्ग पर कुछ भिखारी लोग बोल रहे थे कि उनके घर बेटी की शादी है परंतु उनके पास धन नहीं है तो उसने सोचा काश! भगवान ने मुझे शक्ति दी होती तो मैं इनको पूरी शादी का सजा हुआ मंच देता और इन की बेटी की शादी  खूब धूमधाम से कराता ।

जहां कहीं भी गलत होता है राहुल की यही इच्छा होती कि भगवान उसे शक्ति देता तो पल भर में तलवार से लड़ाई खत्म कर देता । यह तो रही भगवान की बात उसे चलते चलते यह भी सपने आते कि यदि उसकी शादी बचपन में हो गई होती तो और उसकी धर्मपत्नी भी उसके साथ किसी संस्थान में पढ़ रही होती तो वे कितनी मस्ती करते हैं और साथ ही एक दूसरे के सुख-दुख दुख भी बांट लेते । दुनिया से अलग जीवन जी रहे होते एक दूसरे से छोटी-छोटी बात पर झगड़ते जाते । वह अपनी पत्नी को तोहफे ला कर देता और पढ़ने में एक दूसरे की मदद करते । पुरुष छात्रावास के बाहर वो राहुल का इंतजार कर रही होती तो उसके मित्र और वार्डन सभी हंसी-ठिठोली और मजे करते । फिर वही बात वह सोचता कि अगर इस मौके पर खुदा मुझे शक्ति देता तो मैं उसको भूमिगत प्रतिदिन नए-नए स्थानों की सैर करता और हम एक-दूसरे साथ वक्त बिताते ।

जैसा कि मैंने पहले ही कहा था कि यह सब उसकी ख्वाहिशें थी । अब हुआ यूं कि राहुल का दिल दो लड़कियों पर आ गया एक का नाम था दीपिका दूसरी का नाम आरजू । पर कहने की हिम्मत किसी से नहीं हुई । बस उनसे बात करने का मन करता वह भी नहीं की । जब कभी भी बात करती तो बात टाल देता फिर उसने आरजू के साथ एक प्रेम भरा सपना देखा जिसमें आरजू राहुल का इंतजार कर रही थी ।

इस तरह वह उनसे आकर्षित होता रहा और अपना अध्यन भी साथ में करता रहा किंतु इसके साथ साथ उसकी एक बुरी आदत भी । सहायता करने की आदत । उसका एक मित्र विकेश था । जो कि कक्षा 12 के नए समूह में था । उसे बहुत दुख हुआ कि इन्हें कक्षा 11 का कोर्स स्पर्धा के अनुसार नहीं पढ़ाया जा रहा और राहुल को विकेश से बहुत ज्यादा लगाव था तो जुनून सवार हुआ  जो इस हद तक बढ़ गया कि उसने कक्षा 11 का कोर्स स्पर्धा के अनुसार 3 महीनों में विकेश को पढ़ाया । अब इसमें बुरा क्या था । बुरा यह था कि जब विकेश के परीक्षाओं में नंबर नहीं आते थे तो उस को क्रोध आता और वह उस को पीट देता । जिसे विकेश उस से दूर हो गया था । विकेश की रुचि भी समाप्त हो गई । लेकिन ना जाने क्यों राहुल का प्रेम समाप्त ही नहीं हो रहा था और अंतिम वक्त तक जब तक विकेश उसके साथ था वह उसे छोटा भाई मानता रहा ।

राहुल का एक मित्र और था हरि ओम वैसे तो वह दोनों एक दूसरे के टांग खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ते परंतु जब भी किसी एक पर कोई समस्या आती तो दूसरा समस्या से जूझ ने के लिए पहले से तैयार रहता कभी - कभी छोटी मोटी बातों पर अनबन भी हो जाती, रूठना मनाना होता । सुबह सुबह नहाने के लिए झगड़ा करते, दोपहर में एक ही थाली में खाना खाते, शाम को जब वार्डन जी के पास बैठकर चाय पीना । कभी-कभी तो वार्डन जी उनके झगड़ों से परेशान होकर सुलह करा देते हैं वह भी जान जाते कि लड़ाई हो चुकी है । एक बार की बात है कि राहुल सबसे कह रहा था कि पढ़ाई एक जंग है एक हरिओम ने कहा कि पढ़ाई तपस्या है वार्डन जी ने कहा कि पढ़ाई जंग है और तपस्या भी जरा सा ध्यान हटा की दुर्घटना घटी। 
एक ऐसा ही मित्र और था राहुल का मनोज । मनोज उसे सदा खुश देखना चाहता था । सदा उसे हंसाता रहता उस से वह बातें करता जो कि उसे पसंद नहीं थी जिन बातों से राहुल दूर भागता । परंतु फिर भी वह मनोज से नाराज नहीं होता । शायद मनोज के अंदर कुछ था ही ऐसा कि उसे कोई रूठ ना सके । मनोज कहता कि यार देख आज तेरी भाभी नाराज हो गई बता कैसे मनाएं ? या फिर, वह लड़की देख रहा है पसंद आई तो बता सेटिंग कराता हूं । इतना कुछ कहने के बाद भी राहुल ने मनोज को दिल की बात नहीं कह सका क्योंकि शायद उसके मन में कहीं डर था । अपनी पढ़ाई के खराब होने का डर ।

इस तरह वक्त गुजरते राहुल को आईआईटी में प्रवेश मिल गया । यहां आकर राहुल के सिद्धांत कायदे कानून थे उनको बदलना पड़ा वह एक आदर्श इंसान बनना चाहता था परंतु परंतु उसे पता चला कि ऐसे इंसान की कोई कीमत नहीं होती इसलिए राहुल बदला लेकिन ज्यादा नहीं । डरता तो अभी भी था। पता नहीं किस बात का डर था ,पर था।
इन सब के अनुकूल होने के बाद खुदा ने राहुल को उस से मिलवा ही दिया जिस से मिलवाना था । उसकी मुलाकात नंदिनी से हुई । राहुल और उसका दोस्त एक नाटक देखने गए थे जिसका नाम था  चंद्र नंदनी । चंद्र का किरदार नंदनी का भाई निभा रहा था । राहुल ने नंदिनी को बोला कि आपके दर मुझे पसंद आया मैं भी नाटक करता हूं और उसकी कुछ तारीफ की । राहुल ने उस को प्रभावित करने के सभी तरीके आजमा लिए । जब नंदनी कार में बैठने लगी तो वह भी जाकर बैठ गया नंदनी के गुस्से वाले चेहरे को देख कर एक बार तो उसने अपना हाथ दरवाजे की तरफ बढ़ाया  कि वह कार से नीचे उतर जाए लेकिन जैसे ही उसने अपना हाथ बढ़ाया नंदनी ने मुस्कुराकर कार शुरु कर दी । इन लोगों ने पूरे रास्ते भर खूब बातें की और काफ़ी देर बाद वापस आ गए । अंततः राहुल को अपना प्यार मिल गया और कुछ वर्षों बाद उसने नंदिनी से शादी भी कर ली ।  उसे एक अच्छा सा कार्य मिल गया । अपने परिवार के साथ खुश था राहुल परंतु उसके दिल में एक प्रश्न अवश्य था कि अगर भगवान ने शक्ति दी होती तो कितना अच्छा होता । 
रुचिकर बात तो यह है कि राहुल ने अपने जीवन की ये बातें किसी को बताई नहीं इसलिए सभी के लिए सभी दोस्तों के लिए एक अजीब इंसान रहा है । जो हर एक चीज से डरता था परंतु वह अपने लिए मजेदार था ।

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