मैं सत्येंद्र चौधरी "सत्या" मातृभाषा परिवार को नमन करता हूँ
पापी प्यार
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याद-ए-असर सावन का
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आदमी थक जा रहा है भोर में
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स्वातंत्र्य समर का शंखनाद
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केरल को स्वर्ग बनाएँगे
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हे श्री राम
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पत्ते की छाँव - माँ की व्यथा
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सोने सी महबूब दूर से नज़र आती होगी
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आतंकिस्तान की औकात
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अख़बार
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