सोने सी महबूब दूर से नज़र आती होगी  सत्येंद्र चौधरी "सत्या"

सोने सी महबूब दूर से नज़र आती होगी

सत्येंद्र चौधरी "सत्या"

सोने सी महबूब उसे दूर से नज़र आती होगी,
लिपटने को ये लपटें जब लपकर बुलाती होंगी।
 

मायूस अंधेरों में लड़कर जब हौसला टूटा होगा,
क्या पता था ये तिलस्मी ख़्वाब भी झूठा होगा।
 

ये मचलती रोशनी ही प्राण की आधार होगी,
ना पता था इश्क में ये जीत उसकी हार होगी।
 

प्यार का प्यासा पतंगा उस शमां तक आ गया,
आग की लपटों पे वो बादल सा बनकर छा गया।
 

क़ातिल महबूबा की उसकी आँखों में तस्वीर थी,
क्या पता था मौत ही मंजिल की भी तक़दीर थी।
 

फिर छबीली रोशनी उन्मुक्त इठलाती होगी,
फिर से किसी पतंगे को पास बुलाती होगी।
 

सोने सी महबूब उसे दूर से नज़र आती होगी.......

अपने विचार साझा करें




2
ने पसंद किया
1118
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com