पापी प्यार सत्येंद्र चौधरी "सत्या"
पापी प्यार
सत्येंद्र चौधरी "सत्या"वो मोहब्बत अब असर कुछ इस क़दर कर रही है,
साँस मेरी चल रही है पर उम्मीदें जल रहीं हैं।
वो कहा करते थे हमसे हमसफ़र हम संग खड़े हैं,
पर सफ़र में रेलगाड़ी उनकी भी अब चल रही है।
हमने जिसे अमृत समझकर पी लिया तेरे लिए,
पर वही आब-ए-हयात सब ज़हर अब बन रही है।
तुझसे क्या शिक़वा करूँ मैं, तूने तो सुन्नत है पाई,
सुन मेरी ज़न्नत-जहन्नुम, जिंदगानी बन रही है।