सलाम है उन्हें Navneet Pandey

सलाम है उन्हें

Navneet Pandey

ना धुप ना ही बर्फ की परवाह है जिन्हे

हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

मरुभूमि में भी ऊट की सी चाल चल रहे

अरि के कटार के वहाँ वे  ढाल बन रहे

माँ भारती के मान का ख्याल है जिन्हे

हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

लद्दाख की बुलंदियों पर पावँ जमाकर

हिमवायु में खड़े है अपने हाड़ कपाकर

हर वक़्त सीमाओ की परवाह है जिन्हे

हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

आकाश की उंचाइयो से नज़र गड़ाकर

ना उठे कोई आँख हिंदोस्ता की धरा पर

हर वक़्त अपने शिखर पर नाज़ है जिन्हे

हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

 

सागर की तलहटी जो बना के आशिया

हो जां से बेपरवाह करते अठखेलिया

अपनी गहराइया भी शिरोधार्य है जिन्हे

हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

दुश्मन की गोलियो को सीने से रोक के

दे रहे है मात उन्हें ताल ठोंक के

राष्ट्र पुकारता है भारत गौरव जिन्हे

हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

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