भारत की आशा युवा Navneet Pandey

भारत की आशा युवा

Navneet Pandey

हर मुश्किल में तुम धीर बनो

इतिहास रचो तुम आगे बढ़

है  वक़्त तुम्हारे कब्जे में

एलान करो सिंघासन चढ़

हर कलम तुम्हारी बीती को

एक काव्य बनाने की सोचे

तक़दीर बनाने से पहले

क्यों ख़ुदा ना तेरी रज़ा पूछे

तेरी रस्सी में दुनिया के

 कर पैर बधे हो साथ साथ

नतमस्तक क्यों ना हो दुनिया

कर दोनों जोड़े एक साथ

 

तेरी आँखों में स्वर्ग रहे

पर पावँ टिके हो धरी पर

क्योकि मानवता के अगणित

उपकार पड़े है तेरे पर

तुमसे आशा है भारत को

कर रही घोषणा भारत माँ

बन कर सपूत तुम उस माँ का

गुलज़ार करो हर कारवा

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