वह तो एक गरीब है !  Vivek Tariyal

वह तो एक गरीब है !

Vivek Tariyal

कुछ फटे चिथड़ों से लिपट कर
सड़क किनारे या जमघट पर
हाथ कटोरा लिए हुऐ वो, चलता बहुत अजीब है
अरे ! वह तो एक गरीब है , वह तो एक गरीब है |
 

मेदाग्नि में जलता है, जब चलता है वह सड़कों पर
आसक्त नयन गढ़ जाते हैं, सड़क किनारे महलों पर ।
सूर्य रश्मियाँ करतीं चुम्बन, जिस मनुष्य की काया का
बीती रात ठिठुरन में उसने, चाँदनी को गले लगाया था ।
बसंत ऋतु की मादकता भी, उसको नही लुभाती है
रोटी का टुकड़ा मिलने पर, मनः स्थिति चरम सुख पाती है ।
रोटी मिलने पर भी अनवरत रोना, लगता बहुत अजीब है
अरे ! वह तो एक गरीब है, वह तो एक गरीब है ।
 

दान कटोरे में कुछ सिक्के, टन-टन करते बजते हैं,
तन धूल से सना, पथ उसके काँटों से सजते हैं,
धूल फाँकता हुआ मनुज, लोगों के दर पर जाता है,
कहीं से मिल जाते दो सिक्के, कहीं से खाली आता है |
फिर भी अगले दिन उसका आना, लगता बहुत अजीब है
अरे ! वह तो एक गरीब है, वह तो एक गरीब है |
 

आ जाते हो रोज़ कटोरा लेकर अपने हाथों में
काम धाम न करते कुछ, सोते सड़कों पर रातों में ।
कातर दृष्टि से देखा उसने, अपनी अस्मिता पर होता वार
बोला आज देदो मैय्या, फिर ना आऊँगा इस द्वार ।
समझाने पर समझ न आना, लगता बहुत अजीब है
अरे ! वह तो एक गरीब है , वह तो एक गरीब है ।

अपने विचार साझा करें




6
ने पसंद किया
2023
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com