रहेगा चाँद तो अद्भुत सदा Deeksha Dwivedi
रहेगा चाँद तो अद्भुत सदा
Deeksha Dwivediहै उठ सकता मनु निश्चित किसी
ठोकर के धकेले से..
मगर है हार भी संभव जो हारा
मन अकेले से !
नदी न छोड़े शीतलता, न सूरज की तपन बदले,
कोई कर ले जतन कितना, समय रुकता नहीं पगले
पार हो सकता है सेतु,
अगर पाहन के ढेले से...
तो खुशियाँ भी वहन होंगी आस के नेक ठेले से!
भरोसा खुद पे हो पक्का, ईश का साथ है सच्चा,
रहे विश्वास गर मन में, बीज अच्छा तो अन्न अच्छा,
निराशा छोड़कर बन्धु निकल जग के झमेले से...
रहेगा चाँद तो अद्भुत सदा तारों के मेले से!