तुम्हारे रूठ जाने से Deeksha Dwivedi
तुम्हारे रूठ जाने से
Deeksha Dwivediतुम्हारे रूठ जाने से
है मन मेरा डरा कुछ यूँ ,
जो बिजली के गरजने से
सहम जाता कोई बच्चा..
कि जिन सीपों के खुलने से
निकलते थे कभी मोती,
वो मोती बन गए आँसू
देख विश्वास ये कच्चा
जरा तुम सब्र से समझो
इन कुदरत के इशारों को,
धरा-नभ चीख कर कहते
की मेरा इश्क था सच्चा
तुम्हें ना कद्र थी मेरी
ना किस्मत की थी मंजूरी,
है अब तो बस यही आशा
करे रब जो वो सब अच्छा!
करे रब जो वो सब अच्छा!