मानव Saurabh Maurya
मानव
Saurabh Mauryaनदी में तैरता, हवा में उड़ता
जमीं पर चढ़ता मानव
पहाड़ तोड़ता, किनारा जोड़ता
ब्रम्ह की सैर करता मानव
खुशी में नाचता, गम में रोता
दर्द को पीता मानव
दिल को तोड़ता, विश्वास को जीतता
मोहब्बत करता मानव
भूत से डरता, वर्तमान को न जीता
भविष्य संवारता मानव
दुश्मन बनाता, दोस्ती निभाता
अपनों से नित दूर होता मानव
गगन चूमता, गहराई नापता
दूर की सोचता मानव
विज्ञान समझता, मृत्यु से लड़ता
फिर भी है मरता मानव