सार TANUJ SHARMA
सार
TANUJ SHARMAअंत अकेला मानुष का, ये सार समझ मे आया है,
जो ना समझ मे आया अभी तक, प्यार समझ मे आया है ||१||
देखो देखो दुनिया मे, उस डाल पर बैठे पंछी को,
जो ना आया द्वार तुम्हारे, शीष झुकाने आया है ||२||
सभी धड़कनें उठ बोली, तुम प्रिय भाव की गरिमा हो,
मानव को मानव से मिलाती, तुम मानव की महिमा हो ||३||
ढूंढो ढूंढो इस दुनिया मे अब तो उसी को ढूंढो तुम,
जिसने अपने भक्ति भाव से, विष को गले लगाया है ||४||