मुद्दा  रोशन "अनुनाद"

मुद्दा

रोशन "अनुनाद"

आज हर एक बात,
मुद्दा है,
हर मुद्दे से ,
कोई एक बात,
निकल कर मुद्दा
बन जाती है।

इतनी उष्णता,
इतनी तीक्ष्णता,
इतना कड़वापन,
हर बात को
मुद्दा बना देने का
उतावलापन,
असल बात,
मुद्दा बनने से,
रह जाती है,
असल मुद्दे बस,
एक बात बन कर,
रह जाते हैं।
 

मुद्दों के शोर में,
हर कोई,
अपने मतलब की
बात निकाल कर,
उसे मुद्दा बना देता है,
हर बात मानीखेज़,
हो न हो,सनसनीखेज़,
मगर जरूर है,
सतही, पपड़ीदार,
खुरचन भी नहीं,
पर आज यही मुद्दे हैं,
सूचनाओं का नहीं,
प्रचार का तंत्र चालू हैं,
जहां ख़बरें बनती है,
जो किसी के मुफ़ीद हैं,
किसान,जवान,
के मुद्दे नहीं,
पर वे खुद मुद्दे हैं,
सनसनी बनकर,
खून में उबाल,
सड़कों पर बबाल,
पैदा करते हैं,
इनका समाधान नहीं,
पर इनसे लक्षित लोगों,
का हित पोषण,
उनका समाधान होता है,
तभी तो यहाँ,
आदमी से ज़्यादा,
जानवर पर,
घमासान होता है,
तड़की ज़मीन पर,
फटेहाल बुज़ुर्ग को,
तपती दुपहरी में,
नंगे पांव,उकडू बिठा कर,
उसकी फोटो को,
खबर बनातें हैं,
क्या चल रहा है आखिर,
मैं बड़ा कन्फ्यूज़्ड हूँ।

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