वक़्त बदल गया शशांक दुबे
वक़्त बदल गया
शशांक दुबेआँखें चुभ सी रही हैं।
शायद कुछ चला गया है।
है बहुत छोटा सा
पर क़हर बरपा गया है।।
पर ये भी तो सच है
कल यही आँखों को भाता था
मन को बहुत सुहाता था।
आज क्यों झुलसा गया है।।
है बहुत छोटा सा
पर क़हर बरपा गया है।।
चीज़े सब वही हैं
वक़्त ही तो बदला है
जो हृदयप्रिय सा लगता था
वह आग सी लगा गया है।
है बहुत छोटा सा
पर क़हर बरपा गया है।।