मंजिल पथ पर बढ VINAY KUMAR PRAJAPATI
मंजिल पथ पर बढ
VINAY KUMAR PRAJAPATIमंज़िल पथ पर बढ
ओ साथी मंजिल पथ पर बढ !
तू अकेला है इस राह में,
कोई नही है तेरी चाह में,
गुमशुदा न होना जहाँ में,
अदृश्य पत्थर हैं तेरी राह में,
मुश्किल से न डर,
ओ साथी मंज़िल पथ पर बढ!
एक इरादा तेरे अंदर,
सपने देखे जिसका मंजर,
जीवन मे तू दौड़ के देख,
पार हो जाएँगे सात समंदर,
हर पर्वत पर चढ,
ओ साथी मंज़िल पथ पर बढ!
एक बार शुरूआत तू कर,
सपनों से मुलाकात तू कर,
दिल मे जो कलाकार छुपा है,
उससे हर दिन बात तू कर,
मन से मन को पढ़,
ओ साथी मंज़िल पथ पर बढ़!