दम घुटता है रोशन "अनुनाद"
दम घुटता है
रोशन "अनुनाद"मन करता है, देखूँ उजाले।
पर कोई जलते हुए
घरों की लपटें बुझा ले
इसमें दम घुटता है, डर लगता है।
आतिशबाज़ी का शौक है मुझे,
पर चलती गोलियों, फूटते बम,
इनसे दम घुटता है,डर लगता है।
फ़िज़ा में शोरगुल पसंद है मुझे
मगर "मारो-मारो, काट डालो"
इसमें दम घुटता है,डर लगता है।
बोलने, गाने, सुनने-सुनाने का
शौक है मुझे,
क्या बोलूँ कि बोल सकूँ,
यह सोच कर,
दम घुटता है, डर लगता है।
जिधर देखूँ सब अपने,
कोई भी पराया नहीं,
फिर भी क्यों बेगाना सा
ये घर लगता है।
जो लिखा,जो कहा,
लिख तो दिया, कह तो दिया,
क्या प्रतिक्रिया होगी,
यह सोच कर,
दम घुटता है, डर लगता है।