प्यार मेरा है Maharshi Pathak
प्यार मेरा है
Maharshi Pathakदर्द में भी है मुस्काता अधूरा प्यार मेरा है,
आंसू से ग़ज़ल लिख दे समझ लो प्यार मेरा है,
कोई पढ़ ले ज़रा दो शब्द मैंने दिल से जो लिख दिए,
जो मर के भी नही मरता वो सच्चा प्यार मेरा है।
जहाँ खुशियाँ नहीं न रंग वो त्योहार-ए-प्यार मेरा है,
जहाँ उत्सव न हो उमंग ऐसा प्यार मेरा है,
जो हर त्यौहार की खुशियों को बेबुनियाद कर डाले,
कोई दानव नही है वो महज़ अधूरा प्यार मेरा है।
जो जल के भी नही जलता शमां-ए-प्यार मेरा है,
कभी जलता कभी बुझता वो सच्चा प्यार मेरा है,
यहाँ झोंको की नही दरकार दीये आंसू से बुझते हैं,
आग और अश्क़ की यारी हो ऐसा प्यार मेरा है।
शाखा से गिरे पत्ते वो पतझर प्यार मेरा है,
सावन मे न हो बारिश वो मौसम प्यार मेरा है,
ये मेरा दिल बड़ा बेचैन कि इसका घर कहाँ पर है,
है जिसका घर नहीं कोई वो परिंदा प्यार मेरा है।
वो तारे की चमक जैसा सितारा प्यार मेरा है,
आंसू की करे बरसात वो बादल प्यार मेरा है,
चमक सूरज से मिलती चाँद को और चाँद इठलाये,
जहाँ न चाँद दिखता है, अमावस वो प्यार मेरा है।
करता हूँ इश्क़ की ख़िदमत मैं इबादत प्यार मेरा है,
अब तो चाहत मेरी सूरत, फितरत प्यार मेरा है,
मुमालिक इश्क़, ख्वाइश प्यार दिल दिल्ली की गद्दी है,
इसपे हुकूमत मोहब्बत की सहंशाह प्यार मेरा है।